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चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। साल 2025 में विक्रम संवत 2082 का आरंभ 30 मार्च 2025 रविवार को होगा, जिसे कालयुक्त नाम से जाना जाएगा। इस वर्ष का राजा सूर्य होगा और इसी दिन सूर्य का मेष राशि में प्रवेश भी होगा। यह संवत अगले वर्ष 19 मार्च तक चलेगा। खास बात यह है कि इस साल नव संवत्सर की शुरुआत रेवती नक्षत्र में हो रही है। ऐसे में आइए जानते हैं कि रेवती नक्षत्र का हिंदू नववर्ष पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
नव वर्ष की शुरुआत को विभिन्न राज्यों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा के रूप में मनाया जाता है, जबकि उत्तर भारत में यह दिन चैत्र नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक है। असम में इसे बिहू के रूप में मनाया जाता है और पंजाब में इसे बैसाखी के नाम से जाना जाता है। नव वर्ष की शुरुआत शुभ कार्यों से करने की परंपरा है इसलिए लोग अपने-अपने घरों में अपने रीति-रिवाजों के अनुसार पूजा करते हैं। इस वर्ष का राजा सूर्य होंगे, जो नव वर्ष की शुरुआत को और भी शुभ बनाएंगे। इस वर्ष के ग्रहों की स्थिति भी बहुत शुभ है। धन और खनिज तथा धातु के स्वामी बुध रहेंगे, जो आर्थिक समृद्धि का संकेत देता है। मंगल खाद्य पदार्थों के स्वामी होंगे, जो खाद्य सुरक्षा का संकेत देता है। दुर्गेश सूर्य के निकट रहेंगे, जो सुरक्षा और संरक्षण का संकेत देता है। वर्षा के स्वामी भी सूर्य होंगे, जिससे इस संवत्सर में अच्छी वर्षा की संभावना है।
नए संवत्सर 2082 की शुरुआत के दिन ग्रहों का एक शुभ संयोग उत्पन्न हो रहा है, जो इस वर्ष की शुरुआत को और भी शुभ बनाएंगे। इस दिन रेवती नक्षत्र संध्या 6:14 बजे तक विद्यमान रहेगा, जिसके बाद अश्विनी नक्षत्र का आरंभ होगा। इस दिन के ग्रहों की स्थिति भी बहुत शुभ है। सूर्य, बुध, राहु, शनि और शुक्र सभी एक साथ मीन राशि में संचरण करेंगे, जो एक दुर्लभ और शुभ संयोग है। केतु कन्या राशि में स्थित रहेंगे, जबकि देवगुरु बृहस्पति वृषभ राशि में और मंगल मिथुन राशि में रहेंगे।
कलयुक्त संवत्सर का स्वामी सूर्य होने के कारण इस वर्ष का निवास स्थान अत्यंत सुंदर और शुभ होगा। सूर्य के स्वामित्व के कारण नए संवत्सर का निवास माली के घर में होगा, जो कि बहुत शुभ और समृद्धि का संकेत देता है। इस वर्ष में फल-फूल और उद्यान शनि के निकट होंगे, जिससे जंगली फल-फूल की महत्ता बढ़ जाएगी। यह वर्ष कृषि और उद्यान के लिए बहुत शुभ होगा। लेकिन दुष्ट लोगों से सावधान रहना आवश्यक है क्योंकि घर में कालयुक्त संवत्सर का निवास होगा, जो विशेष रूप से घर में उपयोगी रहेगा। इस वर्ष में सूर्य के स्वामित्व के कारण हमें अपने जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का अनुभव होगा। यह वर्ष हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने और अपने सपनों को पूरा करने का अवसर प्रदान करेगा।
नए संवत्सर का स्वामी सूर्य है, जो राजा और मंत्री की भूमिका में है। इसका वाहन हाथी है, जो समाज के कल्याण और एकता का प्रतीक है। इस वर्ष अच्छी वर्षा होने का शुभ संकेत है, जिससे फसल अच्छी होगी और किसान प्रसन्न रहेंगे। आम जनता भी प्रसन्न रहेगी लेकिन मवेशियों के लिए यह वर्ष उत्तम नहीं रहेगा।
नए संवत्सर पर सूर्य का विशेष प्रभाव होने के कारण भारतीय राजनीति पर काफी असर पड़ेगा। सूर्य को राजा और मंत्री बनने के कारण रविवार को संवत्सर का आरंभ होने से राजतंत्र पर ज्यादा प्रभाव पड़ेगा। विदेशी कूटनीति से अच्छा प्रभाव पड़ेगा और कई राज्यों में सत्ता परिवर्तन देखा जा सकता है। कुछ छोटे राजनीतिक पार्टियों का विलय भी हो सकता है।
नए संवत्सर में धनेश बुध है, फलेश शनि है और राजा सूर्य है। इसके कारण लोगों का ध्यान भक्ति भाव में रहेगा और धर्म के कार्य में आस्था बढ़ जाएगी। लोग प्रसन्न रहेंगे और व्यापार में अच्छा लाभ होगा। शिक्षा के क्षेत्र में भी उन्नति होगी।
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