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आश्विन मास का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

Sep 16 2024

आश्विन माह हिंदू पंचांग का सातवां महीना होता है और यह भाद्रपद पूर्णिमा के बाद प्रारंभ होता है। यह महीना आमतौर पर सितंबर और अक्टूबर के बीच आता है और भारतीय धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। आश्विन माह में कई प्रमुख व्रत, त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, जो भक्तों के लिए विशेष महत्व रखते हैं। इस वर्ष आश्विन माह की शुरुआत 18 सितंबर 2024 से हो रही है और इसका समापन 17 अक्टूबर 2024 को होगा। इस दौरान विभिन्न त्योहारों और व्रतों का आयोजन होगा, जो समाज में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को बढ़ावा देते हैं।


इस माह के प्रमुख त्योहार और व्रत


1. पितृ पक्ष (17 सितंबर से 2 अक्टूबर)  


आश्विन माह का आरंभ पितृ पक्ष से होता है, जो भाद्रपद पूर्णिमा के अगले दिन से शुरू होता है। पितृ पक्ष 16 दिनों का वह समय होता है जब हिंदू परिवार अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म, तर्पण और विशेष पूजा करते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष 17 सितंबर से 2 अक्टूबर 2024 तक चलेगा। इस दौरान पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और श्रद्धा व्यक्त की जाती है और परिवार के सदस्य उन्हें मोक्ष प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।


2. नवरात्रि (9 दिन का महापर्व)  


आश्विन माह का एक और प्रमुख पर्व है नवरात्रि, जो 9 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का पर्व शक्ति, भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। हर दिन देवी के एक अलग स्वरूप की पूजा की जाती है, जिनमें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री शामिल हैं। नवरात्रि विशेष उपवास, धार्मिक अनुष्ठानों और माँ दुर्गा की आराधना के साथ मनाई जाती है। यह पर्व 9 दिन के भक्ति उत्सव का समय है, जो शक्ति साधना और आत्मिक उन्नति का अवसर प्रदान करता है।


3. जीवित्पुत्रिका व्रत (24-25 सितंबर) 


आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत या जिउतिया व्रत रखा जाता है। यह व्रत माताएँ अपने पुत्रों की लंबी आयु और समृद्धि के लिए करती हैं। इस वर्ष यह व्रत 25 सितंबर 2024 को मनाया जाएगा, जिसका प्रारंभ 24 सितंबर की दोपहर 12:38 से होगा और इसका समापन 25 सितंबर को दोपहर 12:10 पर होगा। इस व्रत का विशेष धार्मिक महत्व होता है और इसे उपवास के साथ पूर्ण निष्ठा से किया जाता है।


4. महानवमी (11 अक्टूबर)  


नवरात्रि के अंतिम दिन को महानवमी कहा जाता है। इस दिन देवी दुर्गा की विजय और शक्ति का उत्सव मनाया जाता है। महानवमी पर विशेष पूजा-अर्चना और अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है। भक्त देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना करते हैं और अपने घरों में देवी के आशीर्वाद की कामना करते हैं। यह दिन नवरात्रि के समापन का संकेत देता है और देवी की पूजा विशेष धूमधाम से की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल महानवमी 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी, लेकिन नवमी का हवन 12 अक्टूबर, दिन शनिवार को होगा। 


5. दशहरा (विजयदशमी 12 अक्टूबर)   


नवरात्रि के समापन पर दशहरे का पर्व मनाया जाता है, जिसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान राम की रावण पर विजय का उत्सव मनाया जाता है और रावण के पुतले का दहन किया जाता है। दशहरा बुराई के अंत और सत्य, धर्म और न्याय की जीत का संदेश देता है। यह पर्व 12 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा और इस दिन जगह जगह पर रावण दहन के आयोजन भी होंगे।  


6. पितृमोक्ष अमावस्या (आश्विन अमावस्या 2 अक्टूबर) 


आश्विन अमावस्या पितृ पक्ष के समापन का दिन होता है। इस दिन विशेष रूप से पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं। परिवार के सदस्य इस दिन अपने पूर्वजों की स्मृति में विशेष पूजा और दान करते हैं। पितरों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करने का यह दिन बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है और इस दिन श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन अमावस्या तिथि की शुरुआत 01 अक्टूबर को रात 09 बजकर 39 मिनट पर होगी और 03 अक्टूबर को देर रात 12 बजकर 18 मिनट पर समाप्त होगी। यह गणना अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार है। चुकी सनातन धर्म में सूर्योदय के बाद से तिथि की गणना की जाती है। इसलिए 2 अक्टूबर को अश्विन अमावस्या मनाई जाएगी।


7. शरद पूर्णिमा (कोजागिरी पूर्णिमा 16 अक्टूबर)  


आश्विन माह की पूर्णिमा को कोजागिरी पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। यह दिन देवी लक्ष्मी के पूजन का विशेष दिन होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और अपने भक्तों को समृद्धि, सुख, और स्वास्थ्य का आशीर्वाद देती हैं। इस दिन विशेष रूप से चंद्रमा की पूजा की जाती है और चंद्र प्रकाश में खीर का सेवन किया जाता है। कोजागिरी पूर्णिमा को लक्ष्मी पूजन और रातभर जागरण कर देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने की प्रथा है। इस पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा भी कहा जाता है।


क्या है आश्विन माह का आध्यात्मिक महत्व


आश्विन माह भारतीय संस्कृति में गहरी धार्मिक और पारंपरिक धरोहर का प्रतीक है। इस माह में मनाए जाने वाले व्रत और त्योहार समाज में नैतिक मूल्यों, पारिवारिक बंधनों और धार्मिक आस्थाओं को सुदृढ़ करते हैं। धार्मिक गतिविधियों में शामिल होकर श्रद्धालु आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव करते हैं और अपने जीवन में शांति, समृद्धि, और संतुलन प्राप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाते हैं। इसी कारण आश्विन माह का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भारतीय समाज में गहराई से जुड़ा हुआ है। इस माह के त्योहार और व्रत न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करते हैं, बल्कि समाज को एकता, सद्भावना, और नैतिकता की दिशा में प्रेरित करते हैं। 


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