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करवा चौथ की शुरुआत

प्राचीन कथाओं के अनुसार करवा चौथ की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। माना जाता है कि एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरु हो गया उस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी।

कैसे बनीं दिशाएं, कौन होते हैं दिग्पाल

सनातन धर्म केवल एक धर्म या सम्प्रदाय नहीं बल्कि जीवन जीने की एक उत्तम पद्धति में से एक है। हमारे शास्त्रों में दस दिशाओं के साथ उनके दिग्पालों का भी वर्णन मिलता है।

धन के देवता कुबेर: उत्तर दिशा के दिग्पाल और धन वृद्धि के लिए अपनाएं ये उपाय

बिहार के मशहूर वास्तु विशेषज्ञ केपी सिंह के अनुसार उत्तर दिशा के स्वामी यक्ष धन कुबेर माने जाते हैं। शास्त्रों में इसलिए इन्हें धन का देवता भी कहा जाता है।

सोनपुर मेला: बिहार का विश्व प्रसिद्ध मेला और गज-ग्राह युद्ध की कहानी

सोनपुर के बाबा हरिहर नाथ में प्रसिद्ध मेले के पीछे एक बड़ी रोचक कथा प्रचलित है। एक बार एक हाथी और मगरमच्छ के बीच यहां भयंकर युद्ध शुरू हो गया।

अश्लेषा नक्षत्र: अश्लेषा नक्षत्र में जन्मे जातक विष तत्व से प्रभावित होते हैं

हर व्यक्ति के स्वभाव और जीवन पर उसके जन्म के नक्षत्र का विशेष प्रभाव होता है। आज हम ऐसे ही एक महत्वपूर्ण नक्षत्र, अश्लेषा नक्षत्र की बात कर रहे हैं, जिसे अयिलयम नक्षत्र भी कहा जाता है। इस नक्षत्र में जन्मे लोग रहस्यमयी, बुद्धिमान और चतुर होते हैं, लेकिन उनके निर्णयों में कभी-कभी संदेह और भ्रम भी पाया जाता है। इस नक्षत्र का संबंध नागों से होता है, जिससे इन व्यक्तियों में छिपी हुई शक्तियों और विष तत्व का प्रभाव देखा जाता है। आइए, अश्लेषा नक्षत्र के गुणधर्म और उनके जातकों के स्वभाव को विस्तार से समझते हैं।हर व्यक्ति के स्वभाव और जीवन पर उसके जन्म के नक्षत्र का विशेष प्रभाव होता है। आज हम ऐसे ही एक महत्वपूर्ण नक्षत्र, अश्लेषा नक्षत्र की बात कर रहे हैं, जिसे अयिलयम नक्षत्र भी कहा जाता है। इस नक्षत्र में जन्मे लोग रहस्यमयी, बुद्धिमान और चतुर होते हैं, लेकिन उनके निर्णयों में कभी-कभी संदेह और भ्रम भी पाया जाता है। इस नक्षत्र का संबंध नागों से होता है, जिससे इन व्यक्तियों में छिपी हुई शक्तियों और विष तत्व का प्रभाव देखा जाता है। आइए, अश्लेषा नक्षत्र के गुणधर्म और उनके जातकों के स्वभाव को विस्तार से समझते हैं।

सुईया पहाड़ जहां हर कदम चुनौतीपूर्ण

सुईया पहाड़ जहां हर कदम चुनौतीपूर्ण, लहूलुहान हो जाते हैं पैर.

आश्विन मास का धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

आश्विन माह हिंदू पंचांग का सातवां और धार्मिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण महीना है, जो भाद्रपद पूर्णिमा के बाद शुरू होता है। इस वर्ष आश्विन माह 18 सितंबर से 17 अक्टूबर तक रहेगा। इस दौरान पितृ पक्ष, नवरात्रि, दशहरा, और कोजागिरी पूर्णिमा जैसे प्रमुख त्योहार मनाए जाएंगे। ये त्योहार धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से विशेष महत्व रखते हैं, जो श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक उन्नति और सांस्कृतिक जुड़ाव का अनुभव कराते हैं।

जब गणेश जी 12 अनाज के दानों का कर्ज उतारने किसान के नौकर बन गए

भगवान श्री गणेश से जुड़ी एक कहानी के अनुसार, एक बार गणेश जी पृथ्वी पर भ्रमण करने आए।

भगवान गणेश जी का वाहन मूषक ही क्यों है, जानें इसके पीछे की रोचक कहानी

सनातन धर्म को मानने वाले लोग यह अच्छी तरह जानते हैं कि किसी भी मंगल कार्य को प्रारंभ करने से पहले देवताओं को मनाया जाता है।