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अयोध्या से जनकपुर के लिए भगवान श्रीराम की भव्य बारात मंगलवार को रवाना हो गई। विवाह पंचमी के अवसर पर 6 दिसंबर को जनकपुर में भगवान राम और माता सीता का विवाह संपन्न होगा।
हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले पंचांग और शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना बेहद जरूरी माना जाता है। दिसंबर 2024, साल का आखिरी महीना, शुभ कार्यों के लिए कई उत्तम अवसर लेकर आ रहा है।
सनातन धर्म की परंपराएं और मान्यताएं सदियों से समाज के सभी वर्गों और भावनाओं को आत्मसात करती रही हैं। इसी का एक उदाहरण है गंधर्व विवाह जो मनुस्मृति सहित अन्य धर्म ग्रंथों में वर्णित है।
Iसनातन धर्म के ग्रंथों में जीवन के हर पहलू के लिए नियम और रीति-रिवाजों का उल्लेख मिलता है। विवाह जैसे पवित्र बंधन के लिए भी समाज ने अलग-अलग परंपराएं निर्धारित की थीं। इन परंपराओं में से एक थी असुर विवाह, जिसका उल्लेख धर्म शास्त्रों में होता है।
भारतीय समाज में विवाह के 8 प्रकारों का उल्लेख मनुस्मृति और अन्य प्राचीन ग्रंथों में है। उन्हीं से एक है राक्षस विवाह जिसे क्रूर, अमानवीय और अस्वीकार्य विवाह पद्धतियों में ही गिना जाता है।
पिशाच विवाह भारतीय संस्कृति में वर्णित विवाह के 8 प्रकारों में से एक है। इसे मनुस्मृति में सबसे निम्न और तिरस्कृत विवाह माना गया है। यह विवाह उन परिस्थितियों में होता है जब लड़की की सहमति के बिना या धोखे से उसके साथ बलपूर्वक शारीरिक संबंध बनाए जाते हैं और बाद में उससे विवाह किया जाता है।
प्रजापत्य विवाह प्राचीन भारतीय विवाहों के 8 प्रकारों में से ही एक है। इसका उल्लेख भविष्य पुराण और अन्य वैदिक ग्रंथों में भी दर्ज है। यह विवाह ब्रह्म विवाह के समान ही है। लेकिन, इसमें विशेष रूप से वर-वधु को गृहस्थ धर्म का पालन करने का उपदेश दिया जाता है।
आर्ष विवाह प्राचीन भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में वर्णित विवाहों के आठ प्रकारों में से एक महत्वपूर्ण प्रकार है। इसका उल्लेख मनुस्मृति में मिलता है। ‘आर्ष’ का शाब्दिक अर्थ है ‘ऋषि’ और इस प्रकार के विवाह का संबंध ऋषि-मुनियों से है, जो सामान्यतः: सांसारिक बंधनों से मुक्त रहते थे।
हिंदू धर्मग्रंथों में विवाह को धर्म और सामाजिक कर्तव्य का अटूट हिस्सा माना गया है। मनुस्मृति में आठ प्रकार के विवाहों का उल्लेख है। जिनमें देव विवाह को एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।