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नया साल नई उम्मीद और उमंग के साथ आता है, लेकिन पुराना साल खट्टी-मीठी यादें छोड़ जाता है। साल 2024 के कुछ रंग बहुत खूबसूरत थे तो कुछ बैरंग से। देश-दुनिया में इस साल कई अच्छी और बुरी घटनाएं घटित हुई हैं। वहीं धार्मिक लिहाज से देखें तो इस साल 4 धार्मिक स्थल खूब चर्चा में रहे थे। एक मंदिर सदियों तक याद रखने वाले पल के लिए सुर्खियों में रहा तो वहीं दूसरा मंदिर कुछ विवाद की वजह से सुर्खियों में रहा। आइए जानते हैं कि वे कौन-से धार्मिक स्थल हैं और क्यों वे चर्चा में रहे।
साल 2024 में 22 जनवरी को अयोध्या में श्रीराम मंदिर का उद्घाटन और प्राण-प्रतिष्ठा समारोह हुआ और यही कारण है कि रामलला का ये मंदिर वर्ष 2024 में सबसे अधिक चर्चा का विषय रहा। भक्तों के करीब 500 वर्षों के इंतजार के बाद भगवान राम अपने इस भव्य मंदिर में विराजमान हुए। कई वर्षों से इस मंदिर के बनने का इंतजार सभी को था और यह काम पूरा करना किसी चमत्कार से कम भी नहीं था। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जब भव्य मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्य पूरा होने के बाद एक हफ्ते में 19 लाख के करीब लोग दर्शन करने के लिए अयोध्या पहुंचे थे।
इतना ही नहीं मंदिर में भक्तों की तरफ से लाखों का चढ़ावा भी चढ़ाया गया। अयोध्या में भव्य राम मंदिर 70 एकड़ में फैला हुआ है, 2025 तक इसके पूरा बनने का अनुमान है। गर्भगृह में रामलला विराजमान हो चुके हैं। यहां उत्सव मूर्ति (पुरानी मूर्ति) और अचल मूर्ति (नई मूर्ति) को स्थापित किया गया है। जब नए मंदिर में प्रभु श्री राम की मूर्ति की प्रतिष्ठा के बाद पहली रामनवमी पर जब सूर्य की किरणें सीधे राम लला की मूर्ति के माथे पर केंद्रित हुई तो यह नजारा भी देखने लायक था, यह सूर्य तिलक लगभग 4-5 मिनट तक देखा गया और राम लला का यह सूर्य तिलक एक इतिहास बन गया है। इस तरह उत्तर प्रदेश के अयोध्या में अपराह्न 12 बजे भगवान श्री राम लला का 'सूर्य तिलक' संपन्न हुआ, और इसे 'सूर्य तिलक परियोजना' के तहत वैज्ञानिकों ने संभव बनाया। जो काफी चर्चा में रहा।
तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश में स्थित है और यह तिरुपति से करीब 22 किलोमीटर दूर तिरुमाला पहाड़ी पर है। भगवान वेंकटेश्वर बालाजी के दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। लेकिन सितंबर के महीने में मंदिर को लेकर एक ऐसी खबर सुनने को मिली जिसके कारण मंदिर एकदम चर्चा में आ गया। मंदिर का एक प्रसिद्ध बड़ा लड्डू जो वहां पर प्रसाद के रूप में मिलता है उसमें मिलावट पाई गई। लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी को लेकर दावा किया गया था कि इसमें जानवरों की चर्बी मिलाई जा रही थी। लड्डू में जानवरों की चर्बी होने की बात से लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची, जिससे हर तरफ बस इसी मंदिर की चर्चा देखी जा रही थी।
की इस कड़ी में आइए जानते हैं यहां अबूधाबी में बने पहले हिन्दू मंदिर के बारे में, जो कि इस वर्ष काफी सराहा गया। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबूधाबी में बने इस पहले हिन्दू मंदिर की आधारशिला 11 फरवरी 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखी थी। अल वाकबा में बने इस मंदिर का निर्माण कार्य वर्ष 2019 में शुरू हुआ था और इसका उद्घाटन 14 फरवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया है। यह मंदिर यूएई में रहने वाले भारतीयों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की राजधानी अबूधाबी में बनाया गया है। इसका निर्माण बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (BAPS) ने किया है। मंदिर का निर्माण 27 एकड़ में फैली जमीन पर किया गया है। इसकी खासियत यह है कि इसमें लोहा या उससे बनी सामग्री का इस्तेमाल नहीं किया गया है। मंदिर में बेहद खास वास्तुकला के साथ ही दीवारों पर हाथियों को मालाओं के साथ तथा शिल्प के जरिये मोर और मानवीय आकृतियों को जीवित किया गया है। इसका निर्माण भारत की पारंपरिक मंदिर वास्तुकला के हिसाब से तैयार किया है।
ज्ञानवापी मस्जिद इस साल सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला धार्मिक स्थल रहा है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित यह मस्जिद लगातार सर्वे और कानूनी विवादों के कारण सुर्खियों में बनी हुई है। हिंदू पक्ष का दावा है कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई थी। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां कभी मंदिर नहीं था। इस विवाद की शुरुआत 2021 में हुई थी, जब पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज के सामने मस्जिद के पास बने श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा करने की मांग की थी। इसके बाद यहां सर्वे हुआ, जिसमें हिंदू पक्ष ने मस्जिद के अंदर एक शिवलिंग मिलने की बात कही। लेकिन मुस्लिम पक्ष ने दावा किया कि यह शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है।
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