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समावर्तन संस्कार, विद्या अध्ययन का अन्तिम संस्कार है। इस संस्कार में विद्या अध्ययन पूर्ण हो जाने के बाद ब्रह्मचारी शिष्य अपने आदरणीय गुरुजी की आज्ञा पाकर अपने घर लौट जाता है। इसी कारण इसे समावर्तन संस्कार कहा जाता है।
सनातन हिंदू धर्म में, विवाह संस्कार को जीवन के सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण संस्कारों में से एक माना जाता है। विवाह संस्कार के माध्यम से वर-वधू का संबंध पवित्र बंधन में बंधता है।
वानप्रस्थ शब्द दो मुख्य भागों से मिलकर बना है "वन" और "प्रस्थ"। "वन" का अर्थ है जंगल या प्रकृति के करीब का स्थान वहीं "प्रस्थ" का अर्थ है वहां चले जाना या फिर उस स्थान पर निवास करना।
अंत्येष्टि संस्कार हिन्दू धर्म का एक अभिन्न अंग है। जो ना केवल मृतक को मोक्ष प्रदान करता है। बल्कि, परिवार और समाज को भी जीवन और मृत्यु के चक्र के प्रति जागरूक करता है।
सनातन हिंदू धर्म के अनुसार जिस प्रकार एक सैनिक को युद्ध में जाने से पूर्व शस्त्र के साथ-साथ कवच की भी आवश्यकता पड़ती है। ठीक वैसे ही मनुष्य के जीवन के विभिन्न चरणों के लिए किए गए संस्कार ही उनके कवच माने जाते हैं।
सनातन हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 संस्कार बताए गए हैं। इन्हीं 16 संस्कार में से एक है पुंसवन संस्कार जो क्रम में दूसरे स्थान पर आता है। यह संस्कार गर्भाधान के 3 महीने के बाद किया जाता है।
हिंदू धर्म में सभी संस्कारों को जीवन को पवित्र और धर्मसम्मत बनाने के लिए आवश्यक माना गया है। इन संस्कारों में सबसे पहला संस्कार गर्भाधान संस्कार कहलाता है। यह संस्कार गृहस्थ जीवन में प्रवेश करने वाले प्रत्येक दंपति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।
गौतम धर्मसूत्र के अनुसार सनातन धर्म में 40 संस्कारों का उल्लेख है। हालांकि, इनमें से 16 प्रमुख संस्कारों को षोडश संस्कार कहा जाता है। इनका उद्देश्य व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति, विकास और सामाजिक चरणों में प्रवेश को सुनिश्चित करना है।
साल 2025 शुरू हो चुका है और नए साल की शुरुआत ज्यादातर लोग मंदिर, गुरुद्वारों में मत्था टेक कर करते हैं। भारत में किसी भी काम की शुरुआत से पहले भगवान का आशीर्वाद लिया जाता है।