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दुनिया में ऐसे कई चमत्कारी स्थल हैं जो रहस्यों और चमत्कारों से भरे हुए हैं। बिहार की राजधानी पटना में स्थित शीतला माता का मंदिर भी ऐसा ही एक विशिष्ट स्थान है, जहां की अद्भुत मान्यताएं और चमत्कारिक घटनाएं लोगों को अचंभित कर देती हैं। इस मंदिर को लेकर लोगों का मानना है कि यहां पूजा करने से न सिर्फ चेचक, खसरा और चिकन पॉक्स जैसी बीमारियों से मुक्ति मिलती है, बल्कि यहां का जल कई अन्य गंभीर रोगों का भी इलाज करता है। दरअसल इस मंदिर में एक रहस्यमयी कुआं है, जिसका जल चमत्कारिक रूप से रोगों को दूर करने में सहायक माना जाता है।
पटना के अगमकुआं क्षेत्र में स्थित यह शीतला माता का मंदिर अपने आप में एक धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर है। यह मंदिर बिहार और आसपास के क्षेत्रों में अत्यधिक पूजनीय माना जाता है। स्थानीय लोगों और धार्मिक जानकारों का कहना है कि शीतला माता को चेचक और त्वचा संबंधी रोगों की देवी माना जाता है। इनके नीर या जल से स्नान करने और लेप करने से शरीर की गर्मी कम होती है और रोगों से मुक्ति मिलती है। विशेषकर चेचक और चिकन पॉक्स जैसी बीमारियों में शीतला माता की पूजा अत्यंत प्रभावकारी मानी जाती है।
इस मंदिर का सबसे अद्भुत आकर्षण इसके प्रांगण में स्थित एक ऐतिहासिक कुआं है। इस कुएं के जल का इस्तेमाल शीतला माता की पूजा के दौरान विशेष रूप से किया जाता है। मंदिर के प्रधान पंडित मनोज श्रीमाली के अनुसार, इस कुएं का जल विभिन्न प्रकार की त्वचा संबंधी बीमारियों, जैसे चिकन पॉक्स, चेचक और मीजल्स (खसरा) को ठीक करने में सहायक होता है। इस कुएं का जल न केवल त्वचा रोगों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि कई लोग ये भी दावा करते हैं कि इसके इस्तेमाल से आंखों की रोशनी बढ़ती है साथ ही साथ इसका पवित्र जल निःसंतानता दूर करने में भी सहायक माना जाता है।
इस अद्भुत कुएं का रहस्य आज भी अनसुलझा है। वैज्ञानिकों ने कई बार इस कुएं के जल और इसकी संरचना को समझने की कोशिश की है, लेकिन आज तक वे इसके रहस्यों का पता नहीं लगा पाए हैं। पहली बार सन् 1932 में वैज्ञानिकों ने इस कुएं की गहराई और इसके जल के गुणों की जांच करने की कोशिश की इसके बाद 1962 और फिर 1995 में भी वैज्ञानिकों ने इसका अध्ययन किया, लेकिन कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकल सका। इस कुएं की संरचना भी अपने आप में अद्वितीय है। यह कुआं लगभग 105 फीट गहरा है, और इसका व्यास 16 फीट का है। कुएं के ऊपर का आधा हिस्सा ईंटों से बना हुआ है, जबकि नीचे का लगभग 60 फीट हिस्सा लकड़ी के छल्लों से पटा हुआ है। इस प्रकार की संरचना आज के दौर में काफी असामान्य मानी जाती है। ऐसा कहा जाता है कि इस कुएं का जीर्णोद्धार बादशाह अकबर के शासनकाल में किया गया था, और तब से यह कुआं इसी स्थिति में है। वर्तमान समय में इस कुएं को संरक्षित रखने के लिए इसके ऊपर एक आवरण बना दिया गया है।
शीतला माता मंदिर में हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं विशेषकर चेचक और अन्य त्वचा रोगों से पीड़ित लोग यहां विशेष पूजा अर्चना करते हैं। मंदिर के पुजारी राजेश कुमार मालाकार बताते हैं कि यह मंदिर सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि यहां लोगों की आस्था से जुड़े कई चमत्कारिक अनुभव भी होते हैं। राजधानी पटना का शीतला माता मंदिर अपने आप में एक अद्भुत और रहस्यमयी स्थल है, जहां न केवल धार्मिक आस्था की गहराई है बल्कि जिसे विज्ञान भी पूरी तरह समझ नहीं पाया है। यहां का चमत्कारी कुआं और शीतला माता की पूजा श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है, जिससे वे अपने रोगों से मुक्ति पाते हैं और मानसिक शांति की अनुभूति करते हैं।
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