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यह तो प्रेम की बात है उधो (Ye Too Prem Ki Baat Hai Udho)

यह तो प्रेम की बात है उधो,

बंदगी तेरे बस की नहीं है।

यहाँ सर देके होते सौदे,

आशकी इतनी सस्ती नहीं है॥


प्रेम वालों ने कब वक्त पूछा,

उनकी पूजा में सुन ले ए उधो।

यहाँ दम दम में होती है पूजा,

सर झुकाने की फुर्सत नहीं है॥

॥ यह तो प्रेम की बात है उधो...॥


जो असल में हैं मस्ती में डूबे,

उन्हें क्या परवाह ज़िन्दगी की।

जो उतरती है चढ़ती है मस्ती,

वो हकीकत में मस्ती नहीं है॥

॥ यह तो प्रेम की बात है उधो...॥


जिसकी नजरो में है श्याम प्यारे,

वो तो रहते हैं जग से न्यारे।

जिसकी नज़रों में मोहन समाये,

वो नज़र फिर तरसती नहीं है॥

॥ यह तो प्रेम की बात है उधो...॥


यह तो प्रेम की बात है उधो,

बंदगी तेरे बस की नहीं है।

यहाँ सर देके होते सौदे,

आशकी इतनी सस्ती नहीं है॥

लिङ्गाष्टकम् (Lingashtakam)

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

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प्रभु जी तुम चंदन हम पानी,
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नवरात्री का त्यौहार आया (Navratri Ka Tyohar Aaya)

नवरात्री का त्यौहार आया,
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दिवाली व्रत कथा (Diwali Vrat Katha)

एक समय की बात है एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वो जल चढ़ाती थी उस पर पर मां लक्ष्मी का वास था।