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ये मेरी अर्जी है: भजन (Ye Meri Arzi Hai)

ये मेरी अर्जी है,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥


दोहा – मैंने कब कहा,

की मुझे दुनिया का माल दे,

लगी है फास दिल में निकाल दे

मुझ गरीब का तो श्याम,

इतना सवाल है,

जो कुछ समझ में आए,

मेरी झोली में डाल दे ॥


लफ्जो का टोटा है,

लफ्जो का टोटा है,

जिक्र प्यारे का,

अश्को से होता है,

ये मेरी अर्जी हैं,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥


छम छम छम बारिश है,

छम छम छम बारिश है,

माहि घर आजा,

हर बून्द सिफारिश है,

ये मेरी अर्जी हैं,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥


वो इतना प्यारा है,

वो इतना प्यारा है,

चाँद कहे उससे,

तू चाँद हमारा है,

ये मेरी अर्जी हैं,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥


जग रोक ना पाएगा,

जग रोक ना पाएगा,

मीरा नाचेगी,

जब श्याम बुलाएगा,

ये मेरी अर्जी हैं,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥


मेरा माहि गबरू है,

मेरा माहि गबरू है,

उसकी खुशबु से,

खुशबु में खुशबु है,

ये मेरी अर्जी हैं,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥


ये मेरी अर्जी है,

मै वैसी बन जाऊँ,

जो तेरी मर्जी है ॥

प्रदोष व्रत के फायदे

प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। इसलिए, इसे त्रयोदशी के नाम से भी जानते हैं। प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है।

नाम लेगा जो बजरंगबली का(Naam Lega Jo Bajrangbali Ka)

नाम लेगा जो बजरंगबली का,
कष्ट जीवन के सारे कटेंगे ॥

कनकधारा स्तोत्रम् (Kanakdhara Stotram)

अङ्गं हरेः पुलकभूषणमाश्रयन्तीभृङ्गाङ्गनेव मुकुलाभरणं तमालम्।
अङ्गीकृताऽखिल-विभूतिरपाङ्गलीलामाङ्गल्यदाऽस्तु मम मङ्गळदेवतायाः॥1॥

ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अपरा नामक एकादशी (Jyesth Mas Ke Krishna Paksh Ki Apara Namak Ekaadshi)

इतनी कथा सुनने के बाद महाराज युधिष्ठिर ने पुनः भगवान् कृष्ण से हाथ जोड़कर कहा-हे मधुसूदन । अब आप कृपा कर मुझ ज्येष्ठ मास कृष्ण एकादशी का नाम और मोहात्म्य सुनाइये क्योंकि मेरी उसको सुनने की महान् अच्छा है।