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यही है प्रार्थना प्रभुवर (Yahi Hai Rrarthana Prabhuvar Jeevan Ye Nirala Ho)

सरलता, शीलता, शुचिता हों भूषण मेरे जीवन के।

सचाई, सादगी, श्रद्धा को मन साँचे में ढाला हो॥

॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥


मेरा वेदोक्त हो जीवन, बनूँ मैं धर्म-अनुरागी।

रहूँ आज्ञा में वेदों की, न हुक्मेवेद टाला हो॥

॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥


तेरी भक्ति में हे भगवन्, लगा दूँ अपना मैं तन-मन।

दिखावे के लिये हाथों में थैली हो, न माला हो॥

॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥


तजूँ सब खोटे कर्मों को, तजूँ दुर्वासनाओं को।

तेरे विज्ञान दीपक का मेरे मन में उजाला हो॥

॥ यही है प्रार्थना प्रभुवर...॥


पिला दे मोक्ष की घुट्टी, मरण-जीवन से हो छुट्टी।

विनय अन्तिम ये सेवक की अगर मंजूरे वाला हो॥


यही है प्रार्थना प्रभुवर! जीवन ये निराला हो।

परोपकारी, सदाचारी व लम्बी आयुवालो हो॥

सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया(Sanwali Surat Pe Mohan Dil Diwana Ho Gaya)

सांवली सूरत पे मोहन,
दिल दीवाना हो गया ।

कितना प्यारा है सिंगार (Kitna Pyara Hai Singar)

कितना प्यारा है सिंगार,
की तेरी लेउ नज़र उतार,

बिगड़ी मेरी बना जा, ओ शेरोवाली माँ (Bigdi Meri Bana Ja O Sheronwali Maa)

बिगड़ी मेरी बना जा,
ओ शेरोवाली माँ,

मासिक दुर्गाष्टमी व्रत कथा और महत्व

मासिक दुर्गाष्टमी हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण व्रत और त्योहारों में से एक है। यह व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा और व्रत किए जाते हैं।

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