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कांच ही बांस के बहंगिया, बहंगी लचकति जाए।
लाऊँ कहाँ से, भोलेनाथ तेरी भंगिया,
शीश गंग अर्धंग पार्वती, सदा विराजत कैलासी ।
सुन राधिका दुलारी में, हूँ द्वार का भिखारी,