नवीनतम लेख

वर दे, वीणा वादिनि वर दे: सरस्वती वंदना (Var De Veena Vadini Var De: Saraswati Vandana)

वर दे, वीणावादिनि वर दे ।

प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव

भारत में भर दे ।

वीणावादिनि वर दे ॥


काट अंध उर के बंधन स्तर

बहा जननि ज्योतिर्मय निर्झर

कलुष भेद तम हर प्रकाश भर

जगमग जग कर दे ।

वर दे, वीणावादिनि वर दे ॥


नव गति, नव लय, ताल छंद नव

नवल कंठ, नव जलद मन्द्र रव

नव नभ के नव विहग वृंद को,

नव पर नव स्वर दे ।

वर दे, वीणावादिनि वर दे ॥


वर दे, वीणावादिनि वर दे।

प्रिय स्वतंत्र रव, अमृत मंत्र नव

भारत में भर दे ।

वीणावादिनि वर दे ॥

- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

मन बस गयो नन्द किशोर बसा लो वृन्दावन में(Man Bas Gayo Nand Kishor Basalo Vrindavan Mein)

मन बस गयो नन्द किशोर,
अब जाना नहीं कही और,

ओ आए तेरे भवन

ओ, आए तेरे भवन, दे दे अपनी शरण
ओ, आए तेरे भवन, दे दे अपनी शरण

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे (Namaste Sada Vatsale Matruṛbhume)

नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोऽहम् ।

आना हो श्री गणेशा, मेरे भी घर में आना (Aana Ho Shri Ganesha Mere Bhi Ghar Mein Aana)

आना हो श्री गणेशा,
मेरे भी घर में आना,