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तारा है सारा जमाना, श्याम हम को भी तारो (Tara Hai Sara Zamana, Shyam Hamko Bhi Taro)

तारा है सारा जमाना,

श्याम हम को भी तारो ।

हम को भी तारो,

श्याम हम को भी तारो ॥


हम ने सुना है,

श्याम मीरा को तारा,

वीणा का करके बहाना,

श्याम हम भी तारो ।


तारा है सारा जमाना,

श्याम हम को भी तारो ।

हम को भी तारो,

श्याम हम को भी तारो ॥


हमने सुना है,

श्याम द्रोपदी को तारा,

साडी का करके बहाना,

श्याम हम को भी तारो ।


तारा है सारा जमाना,

श्याम हम को भी तारो ।

हम को भी तारो,

श्याम हम को भी तारो ॥


हमने सुना है,

श्याम कुब्जा को तारा,

चन्दन का करके बहाना,

श्याम हम को भी तारो ।


तारा है सारा जमाना,

श्याम हम को भी तारो ।

हम को भी तारो,

श्याम हम को भी तारो ॥


हमने सुना है,

श्याम गणिका को तारा,

तोते का करके बहाना,

श्याम हम को भी तारो ।


तारा है सारा जमाना,

श्याम हम को भी तारो ।

हम को भी तारो,

श्याम हम को भी तारो ॥


हमने सुना है,

श्याम अर्जुन को तारा,

गीता का करके बहाना,

श्याम हम को भी तारो ।


तारा है सारा जमाना,

श्याम हम को भी तारो ।

हम को भी तारो,

श्याम हम को भी तारो ॥


हमने सुना है,

श्याम प्रहलाद को तारा,

खम्बे का करके बहाना,

श्याम हम को भी तारो ।


तारा है सारा जमाना,

श्याम हम को भी तारो ।

हम को भी तारो,

श्याम हम को भी तारो ॥


हमने सुना है,

श्याम केवट को तारा,

नौका का करके बहाना,

श्याम हम को भी तारो ।


तारा है सारा जमाना,

श्याम हम को भी तारो ।

हम को भी तारो,

श्याम हम को भी तारो ॥

विवाह पंचमी के उपाय क्या हैं

हिंदू कैलेंडर के हिसाब से विवाह पंचमी का पर्व मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाई जाती है। इस दिन प्रभु श्रीराम और माता सीता की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। वहीं इस साल विवाह पंचमी 06 दिसंबर शुक्रवार के दिन मनाई जाएगी।

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होली पर गुजिया क्यों बनाई जाती है

हर घर में होली के मौके पर गुजिया बनाई और खाई जाती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि होली पर गुजिया बनाने की परंपरा क्यों है? इसके पीछे एक दिलचस्प पौराणिक कथा और ऐतिहासिक महत्व छिपा हुआ है। तो आइए जानते हैं कि होली पर गुजिया क्यों बनाई जाती है और इसके पीछे की कहानियां क्या हैं।