नवीनतम लेख

सूरत बड़ी है प्यारी माँ की (Surat Badi Hain Pyari Maa Ki)

सूरत बड़ी है प्यारी माँ की,

मूरत की क्या बात है,

सर पर सोहे मुकुट सुनहरा,

त्रिशूल चक्र भी हाथ है,

सज धज कर बैठी हो मैया,

अजब निराली ठाट है,

वाह वाह क्या बात है,

वाह वाह क्या बात है ॥


छवि तुम्हारी ऐसी मैया,

दूजी कोई और नहीं,

तीन लोक तेरे जैसा,

दूजा माँ सिरमौर नहीं,

लाल लाल मेहंदी ज्वाला जी,

रची तुम्हारे हाथ है,

वाह वाह क्या बात है,

वाह वाह क्या बात है ॥


हर एक रूप में प्यारी लगती,

सबका चित्त चुराती हो,

भक्त तुम्हारा भजन करे तो,

मन ही मन मुस्काती हो,

अंबर से होती है तुझपे,

फूलो की बरसात है,

वाह वाह क्या बात है,

वाह वाह क्या बात है ॥


आज तुम्हारे इस दर्शन को,

सेवक तुम्हारे आये है,

चोखानी के तुमने ही तो,

बिगड़े काज बनाये है,

सिंघ सवारी करती मैया,

अजब निराली शान है,

वाह वाह क्या बात है,

वाह वाह क्या बात है ॥


सूरत बड़ी है प्यारी माँ की,

मूरत की क्या बात है,

सर पर सोहे मुकुट सुनहरा,

त्रिशूल चक्र भी हाथ है,

सज धज कर बैठी हो मैया,

अजब निराली ठाट है,

वाह वाह क्या बात है,

वाह वाह क्या बात है ॥

बच्छ बारस शुभ मूहूर्त, पूजा विधि (Bachh Baras Shubh Muhrat, Puja Vidhi)

बच्छ बारस जिसे गोवत्स द्वादशी भी कहा जाता है। ये पर्व आगामी 28 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।

भगवान शिव क्यों बने थे भिखारी

संसार के सभी जीव-जंतु जीवित रहने हेतु भोजन पर निर्भर रहते हैं। सनातन हिंदू धर्म में देवी अन्नपूर्णा को अन्न के भंडार और इसकी पूर्ति करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। देवी अन्नपूर्णा की पूजा के पीछे एक पौराणिक कथा है।

रंग पंचमी पर किसकी पूजा करें

रंग पंचमी भारत के विभिन्न हिस्सों में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। यह पर्व होली के ठीक पाँच दिन बाद आता है और इस दिन विशेष रूप से देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है।

क्यों मनाते हैं माघ पूर्णिमा

सनातन हिंदू धर्म में, पूर्णिमा तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु को प्रिय है। माघ पूर्णिमा के पर्व को वसंत ऋतू के आगमन के दौरान मनाया जाता है।