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सुख के सब साथी, दुःख में ना कोई: भजन (Sukh Ke Sab Saathi, Duhkh Mein Na Koi)

सुख के सब साथी,

दुःख में ना कोई ।

मेरे राम, मेरे राम..

तेरा नाम एक साँचा,

दूजा ना कोई ॥


जीवन आनी जानी छाया,

झूठी माया, झूठी काया ।

फिर काहे को सारी उमरियाँ,

पाप की गठड़ी ढोई ॥


सुख के सब साथी,

दुःख में ना कोई ।

मेरे राम, मेरे राम..

तेरा नाम एक साँचा,

दूजा ना कोई ॥


ना कुछ तेरा, ना कुछ मेरा,

ये जग जोगीवाला फेरा ।

राजा हो या रंक सभी का,

अंत एक सा होई ॥


सुख के सब साथी,

दुःख में ना कोई ।

मेरे राम, मेरे राम..

तेरा नाम एक साँचा,

दूजा ना कोई ॥


बाहर की तू माटी फाँके,

मन के भीतर क्यों ना झाँके ।

उजले तन पर मान किया,

और मन की मैल ना धोई ॥


सुख के सब साथी,

दुःख में ना कोई ।

मेरे राम, मेरे राम..

तेरा नाम एक साँचा,

दूजा ना कोई ॥

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

उत्पन्ना एकादशी की पौराणिक कथा मां एकादशी के जन्म से संबंधित है। इसमें ये बताया गया है कि उन्होंने भगवान विष्णु को एक राक्षस से कैसे बचाया। दरअसल सतयुग में एक मुरा नाम का एक राक्षस था।

शिव ताण्डव स्तोत्रम् (Shiv Tandav Stotram)

जटाटवीगलज्जल प्रवाहपावितस्थले
गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्।

भोले ऐसी भांग पिला दे, जो तन मन में रम जाए (Bhole Aisi Bhang Pila De Jo Tan Man Me Ram Jaye)

शिव समान दाता नहीं,
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मेरी माँ अंबे दुर्गे भवानी(Meri Maa Ambe Durga Bhawani)

मेरी माँ अंबे दुर्गे भवानी,
किस जगह तेरा जलवा नहीं है,

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