नवीनतम लेख

शिव शम्भू सा निराला, कोई देवता नहीं है (Shiv Shambhu Sa Nirala Koi Devta Nahi Hai)

शिव शम्भू सा निराला,

कोई देवता नहीं है,

जैसा भी है डमरू वाला,

कोई देवता नहीं है ॥


सर पे बसी है गंगा,

माथे पे चन्द्रमा है,

नंदी की है सवारी,

अर्धांगिनी उमा है,

गले सर्प की है माला,

कोई देवता नहीं है,

जैसा भी है डमरू वाला,

कोई देवता नहीं है ॥


अमृत की कामना से,

सब मथ रहे शिवसागर,

निकला है उससे विष जो,

सब पि गए हलाहल,

उस ज़हर को पिने वाला,

कोई देवता नहीं है,

जैसा भी है डमरू वाला,

कोई देवता नहीं है ॥


आशा हुई निराशा,

जाए तो किसके द्वारे,

तुझे छोड़ हे महेश्वर,

अब किसको हम पुकारे,

सूना है मन शिवाला,

कोई देवता नहीं है,

जैसा भी है डमरू वाला,

कोई देवता नहीं है ॥


शिव शम्भू सा निराला,

कोई देवता नहीं है,

जैसा भी है डमरू वाला,

कोई देवता नहीं है ॥


मुझे तूने मालिक, बहुत कुछ दिया है (Mujhe Tune Malik Bahut Kuch Diya Hai)

मुझे तूने मालिक,
बहुत कुछ दिया है ।

अथार्गलास्तोत्रम् (Athargala Stotram)

पवित्र ग्रंथ दुर्गा सप्तशती में देवी अर्गला का पाठ देवी कवचम् के बाद और कीलकम् से पहले किया जाता है। अर्गला को शक्ति के रूप में व्यक्त किया जाता है और यह चण्डी पाठ का महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है।

बैठ नजदीक तू मेरी माँ के, हर कड़ी दिल की जुड़ने लगेगी (Baith Nazdik Tu Meri Maa Ke Har Kadi Dil Ki Judne Lagegi)

बैठ नजदीक तू मेरी माँ के,
हर कड़ी दिल की जुड़ने लगेगी,

भोले की किरपा, जिस पर भी रहती है (Bhole Ki Kripa Jis Par Bhi Rahti Hai)

भोले की किरपा,
जिस पर भी रहती है,