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शिव मात पिता, शिव बंधू सखा (Shiv Maat Pita Shiv Bandhu Sakha)

शिव मात पिता,

शिव बंधू सखा,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम ॥


जिनका तो ना आदि,

ना अंत पता,

भक्तो पे दया,

जो करते सदा,

शिव मात पितां,

शिव बंधू सखा,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम ॥


वृषगामी जो,

बाघाम्बर है धरे,

अनादि अनंत से,

जो है परे,

शिव मात पितां,

शिव बंधू सखा,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम ॥


अमृत को नहीं,

विष पान किया,

अभयदान है,

भक्त जनों को दिया,

शिव मात पितां,

शिव बंधू सखा,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम ॥


गौरा नंदन,

श्री गणेश कहे,

जलधारा जिनके,

शीश बहे,

शिव मात पितां,

शिव बंधू सखा,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम ॥


शिव मात पिता,

शिव बंधू सखा,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम,

शिव चरणों में,

कोटि कोटि प्रणाम ॥


त्रिपुर भैरवी जयंती कब है ?

हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को माता त्रिपुर भैरवी के जन्मदिवस को त्रिपुर भैरवी जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है जो शक्ति और पराक्रम की प्रतीक माता त्रिपुर भैरवी की महिमा को दर्शाता है।

करूँ वंदन हे शिव नंदन (Karu Vandan Hey Shiv Nandan )

करूँ वंदन हे शिव नंदन,
तेरे चरणों की धूल है चन्दन,

मीठे रस से भरीयो री, राधा रानी लागे(Mithe Ras Se Bharyo Ri Radha Rani Lage)

मीठे रस से भरीयो री,
राधा रानी लागे।

जयति तेऽधिकं जन्मना (Jayati Te Dhikam Janmana)

जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजः
श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि ।