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सर पे चुनरिया लाल, और हाथों में मेहंदी रचाई है (Sar Pe Chunariya Lal Aur Hatho Mein Mehandi Rachai Hai)

सर पे चुनरिया लाल,

और हाथों में मेहंदी रचाई है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल,

सर पे चूनरिया लाल,

और हाथों में मेहंदी रचाई है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल ॥


मेरे घर आँगन में,

मैया पधारी है,

मेरी तो मौज है,

मैया को पा करके,

ऐसा लगा जैसे,

दिवाली रोज है,

प्यार का उपहार,

प्यार का उपहार,

भक्तो के लिए माँ लाइ है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल ॥


भूलकर सारी,

दुःख और तकलीफें,

मैया का ध्यान धरो,

ठाठ कर देगी,

गर मान जाएगी,

जरा गुणगान करो,

मैया के दरबार,

मैया के दरबार,

में होती सबकी सुनवाई है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल ॥


कर दो दया इतनी,

जब भी बुलाऊँ मैं,

लगे तू पास है,

‘शिवम’ तेरा मेरा,

नाता पुराना है,

ये रिश्ता खास है,

रखकर के विश्वास,

रखकर के विश्वास जिसने,

माँ की ज्योत जगाई है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल ॥


सर पे चुनरिया लाल,

और हाथों में मेहंदी रचाई है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल,

सर पे चूनरिया लाल,

और हाथों में मेहंदी रचाई है,

भक्तो के घर माँ आई है,

सर पे चूनरिया लाल ॥


हरिद्वार जाउंगी, सखी ना लौट के आऊँगी(Haridwar Jaungi Sakhi Na Laut Ke Aaungi)

सखी हरिद्वार जाउंगी,
हरिद्वार जाउंगी,

हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम(Humara Nahi Koi Re Tere Bina Ram)

हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम
हमारा नहीं कोई रे तेरे बिना राम

मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी(Mohe Hori Mein Kar Giyo Tang Ye Rashiyan Mane Na Meri)

मोहे होरी में कर गयो तंग ये रसिया माने ना मेरी,
माने ना मेरी माने ना मेरी,

सत्यनारायण कथा (Satyanarayan Katha)

एक समय नैमिषीरण्य तीर्थ में शौनकादि 88 हजार ऋषियों ने श्री सूत जी से पूछा हे प्रभु! इस कलयुग में वेद-विद्या रहित मनुष्यों को प्रभु भक्ति किस प्रकार मिलेगी तथा उनका उद्धार कैसे होगा।

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