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सांवरा जब मेरे साथ है,
हमको डरने की क्या बात है ।
इसके रहते कोई कुछ कहे,
बोलो किसकी यह औकात है ॥
छाये काली घटाए तो क्या,
इसकी छतरी के नीचे हूँ मैं ।
आगे आगे यह चलता मेरे,
मेरे मालिक के पीछे हम मैं ।
इसने पकड़ा मेरा हाथ है,
मुझको डरने की क्या बात है ॥
इसकी महिमा का वर्णन करू,
मेरी वाणी में वो दम नहीं ।
जब से इसका सहारा मिला
फिर सताए कोई गम नहीं ।
बाबा करता करामत है
हमको डरने की क्या बात है ॥
क्यों मैं भटकू यहाँ से वहां
इसके चरणों में है बैठना ।
झूठे स्वार्थ के रिश्ते सभी,
कहना से है रिश्ता बना ।
ये करता मुलाकात है,
हमको डरने की क्या बात है ॥
जहां आनद की लगती झड़ी,
ऐसी महफ़िल सजता है ये ।
‘बिन्नू’ क्यों ना दीवाना बने,
ऐसे जलवे दिखता है ये ।
दिल चुराने में विख्यात है,
हमको डरने की क्या बात है ॥