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संकट हरलो मंगल करदो, प्यारे शिव गौरा के लाल(Sankat Harlo Mangal Kardo Pyare Shiv Gaura Ke Lal)

संकट हरलो मंगल करदो,

प्यारे शिव गौरा के लाल,

अब विनती सुनलो गणपति देवा ॥


हे गणनायक देव गजानन,

मूषक चढ़कर आओ,

हाथ जोड़कर द्वार खड़े है,

अब ना देर लगाओ,

गजानन जल्दी से तुम आओ,

आकर के अपने भक्तों का,

तुम जान लो दिल का हाल,

अब विनती सुनलो गणपति देवा ॥


तुमको ना बतलाए तो हम,

अपनी किसे बताएं,

तुम ही बता दो सिद्धिविनायक,

किसके द्वार पे जाए,

बताओ किसको अपनी सुनाएं,

दुःख के बादल ने घेरा हमें,

संकट का फैला जाल,

अब विनती सुनलो गणपति देवा ॥


संकटहर्ता संकट काटो,

चारो तरफ तेरा राज,

कर दो अब खुशियों की वर्षा,

हे गणपति महाराज,

हमारे पूरण कर दो काज,

सबके पूरण तुम काम करो,

जग में है तेरी मिसाल,

अब विनती सुनलो गणपति देवा ॥


टूट रही है आस की डोरी,

डोल रहा विश्वास,

अब तो हमें तुम अपनी दया का,

दे दो प्रभु प्रसाद,

कहीं अब टूट ना जाए आस,

जैसे भी हो अब तो तुमको,

देवा करना है कमाल,

अब विनती सुनलो गणपति देवा ॥


संकट हरलो मंगल करदो,

प्यारे शिव गौरा के लाल,

अब विनती सुनलो गणपति देवा ॥

फरवरी 2025 में इष्टि कब है

इष्टि यज्ञ वैदिक काल के प्रमुख अनुष्ठानों में से एक है। संस्कृत में ‘इष्टि’ का अर्थ ‘प्राप्ति’ या ‘कामना’ होता है। यह यज्ञ विशेष रूप से मनोकामना पूर्ति और जीवन में समृद्धि लाने के उद्देश्य से किया जाता है।

बेद की औषद खाइ कछु न करै माँ गंगा माहात्म्य (Bed Ki Aushad Khai Kachhu Na karai: Ganga Mahatmy)

बताओ कहाँ मिलेगा श्याम ।
चरण पादुका लेकर सब से पूछ रहे रसखान ॥

नंगे नंगे पाँव चल आ गया री(Nange Nange Paon Chal Aagaya Ri)

नंगे नंगे पाँव चल आगया री माँ,
इक तेरा पुजारी ॥

Sher Pe Sawar Hoke Aaja Sherawaliye (शेर पे सवार होके आजा शेरावालिए)

शेर पे सवार होके आजा शेरा वालिये। (शेर पे सवार होके आजा शेरा वालिये।)

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