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सखी री बांके बिहारी से हमारी लड़ गयी अंखियाँ (Sakhi Ri Bank Bihaari Se Hamari Ladgayi Akhiyan)

सखी री बांके बिहारी से

हमारी लड़ गयी अंखियाँ ।

बचायी थी बहुत लेकिन

निगोड़ी लड़ गयी अखियाँ ॥


ना जाने क्या किया जादू

यह तकती रह गयी अखियाँ ।

चमकती हाय बरछी सी

कलेजे गड़ गयी आखियाँ ॥


चहू दिश रस भरी चितवन

मेरी आखों में लाते हो ।

कहो कैसे कहाँ जाऊं

यह पीछे पद गयी अखियाँ ॥


भले तन से निकले प्राण

मगर यह छवि ना निकलेगी ।

अँधेरे मन के मंदिर में

मणि सी गड़ गयी अखियाँ ॥


सखी री बांके बिहारी से

हमारी लड़ गयी अंखियाँ ।

बचायी थी बहुत लेकिन

निगोड़ी लड़ गयी अखियाँ ॥


वैदिक मंत्र क्यों पढ़ने चाहिए?

वैदिक मंत्रों का पाठ शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है। ये मंत्र दिव्य शक्तियों से जुड़े होते हैं, जो हमारे जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का संचार करते हैं।

माँ के चरणों में ही तो, वो जन्नत होती है(Maa Ke Charno Mein Hi To Vo Jannat Hoti Hai)

जहाँ पे बिन मांगे,
पूरी हर मन्नत होती है,

काली काली अमावस की रात में, काली निकली काल भैरो के साथ में

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे नमः।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे नमः।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे नमः।

गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो(Gira Ja Raha Hu Utha Lo)

प्रभु अपने दर से, अब तो ना टालो,
गिरा जा रहा हूँ, उठा लो उठा लो,