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सच्चे मन से माँ की, ज्योत तुम जगाओ (Sacche Man Se Maa Ki Jyot Tum Jagao)

सच्चे मन से माँ की,

ज्योत तुम जगाओ,

बिन मांगे सारे फल पाओ ॥


ये ही है दुर्गा ये ही माँ काली,

चाहे किसी भी रूप में मनाओ,

बिन मांगे सारे फल पाओ।

सच्चे मन से मां की,

ज्योत तुम जगाओ,

बिन मांगे सारे फल पाओ ॥


धन यश सुख सब देने वाली,

माँ से भंडार तुम भरवाओ,

बिन मांगे सारे फल पाओ।

सच्चे मन से मां की,

ज्योत तुम जगाओ,

बिन मांगे सारे फल पाओ ॥


तन मन करदो माँ को समर्पण,

शेर चरणों में शीश तुम नवाओ,

बिन मांगे सारे फल पाओ।

सच्चे मन से मां की,

ज्योत तुम जगाओ,

बिन मांगे सारे फल पाओ ॥


जगदाति की कर लो पूजा,

बस दाती के ही हो जाओ,

बिन मांगे सारे फल पाओ।

सच्चे मन से मां की,

ज्योत तुम जगाओ,

बिन मांगे सारे फल पाओ ॥


सच्चे मन से माँ की,

ज्योत तुम जगाओ,

बिन मांगे सारे फल पाओ ॥

अखुरथ संकष्टी चतुर्थी स्त्रोत

पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

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जानकी नाथ सहाय करें (Janaki Nath Sahay Kare)

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जानकी नाथ सहाय करें,

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