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सभी रूप में आप विराजे (Sabhi Roop Me Aap Viraje Triloki Ke Nath Ji)

सभी रूप में आप विराजे,

त्रिलोकी के नाथ जी,

सारी दुनिया तुमको पूजे,

राधा जी के साथ जी ॥


बोलो गोविंदा रे गोविंदा रे गोविंदा ॥


रूप चतुर्भुज लगे सलोना,

चार भुजा के नाथ जी,

नाथद्वारा में आप विराजे,

बन करके श्री नाथ जी,

दाड़ी में थारो हीरो चमके,

मुकुट विराजे माथ जी,

सारी दुनिया तुमको पूजे,

राधा जी के साथ जी ॥


पंढरपुर में हरी विठ्ठल,

रणछोड़ बस्या डाकोर जी,

बने गोवर्धन आप विराजे,

आकर के इंदौर जी,

द्वार तुम्हारे भक्त खड़े है,

जोड़ के दोनों हाथ जी,

सारी दुनिया तुमको पूजे,

राधा जी के साथ जी ॥


वृन्दावन में कृष्ण मुरारी,

जयपुर में गोपाल जी,

दिक्क़ी में कल्याण धणी,

म्हारो साँवरियो नन्दलाल जी,

मोत्या वाला श्याम धणी अब,

सुनलिजो म्हारी बात जी,

सारी दुनिया तुमको पूजे,

राधा जी के साथ जी ॥


रोम रोम में बसी है राधे,

आप बसे हो कण कण में,

माता यशोदा के राज दुलारे,

आन बसों मेरे मन में,

शनि मंडली श्याम तुम्हारी,

विनती करे दिन रात जी,

सारी दुनिया तुमको पूजे,

राधा जी के साथ जी ॥


बोलो गोविंदा रे गोविंदा रे गोविंदा ॥


सभी रूप में आप विराजे,

त्रिलोकी के नाथ जी,

सारी दुनिया तुमको पूजे,

राधा जी के साथ जी ॥


बोलो गोविंदा रे गोविंदा रे गोविंदा ॥


लेके गौरा जी को साथ भोले-भाले भोले नाथ(Leke Gaura Ji Ko Sath Bhole Bhale Bhole Nath)

लेके गौरा जी को साथ,
भोले-भाले भोले नाथ,

नई पुस्तक शुभारंभ पूजा विधि

नई पुस्तक का विमोचन किसी लेखक के लिए एक बेहद खास अवसर होता है। यह न केवल उसकी विद्या और ज्ञान का प्रतीक होता है, बल्कि उसकी मेहनत और समर्पण की भी पहचान होती है।

जगमग जगमग जोत जली है, आरती श्री राम जी (Jagmag Jyot Jali Hai Shri Ram Aarti)

जगमग जगमग जोत जली है।
राम आरती होन लगी है॥

ना जाने कौन से गुण पर, दयानिधि रीझ जाते हैं (Na Jane Kaun Se Gun Par Dayanidhi Reejh Jate Hain)

ना जाने कौन से गुण पर,
दयानिधि रीझ जाते हैं ।