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सब धामों से धाम निराला, श्री वृन्दावन धाम(Sab Dhamo Se Dham Nirala Shri Vrindavan Dham)

सब धामों से धाम निराला,

श्री वृन्दावन धाम,

कुँज निकुंज में जहाँ विराजे,

प्यारे श्यामा श्याम,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा ॥


(“गली गली में संत जहाँ,

राधा नाम का जहाँ धन है,

राज चले जहाँ श्यामा जू का,

ऐसा हमारा वृन्दावन है।“)


जहाँ बहती है यमुना रानी,

जिसकी है नील धारा,

कण कण में श्याम समाए,

जरा देखो आके नजारा,

गली गली में संत विराजे,

गली गली में संत विराजे,

जपते कृष्ण को नाम,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा ॥


कहीं बंशी की धुन बाजे,

कहीं छम छम बाजे पायल,

प्याला इस रस का पीकर,

तू हो जइयो रे पागल,

‘चित्र विचित्र’ का ब्रज भूमि को,

‘चित्र विचित्र’ का ब्रज भूमि को,

कोटि कोटि प्रणाम,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा ॥


उसकी किरपा का हरपल,

जहाँ लुटता है भंडार,

मिलता है यहाँ पे सबको,

बांके ठाकुर का प्यार,

युगल चरण में आके हमको,

युगल चरण में आके हमको,

मिल जाए विश्राम,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा ॥


सब धामों से धाम निराला,

श्री वृन्दावन धाम,

कुँज निकुंज में जहाँ विराजे,

प्यारे श्यामा श्याम,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा,

मेरा वृन्दावन प्यारा,

मेरा ब्रजधाम है न्यारा ॥

अन्वधान और इष्टी क्या है

भारत के त्योहार और अनुष्ठान वैदिक परंपराओं में गहराई से निहित हैं। इसमें से अन्वधान और इष्टि का विशेष महत्व है। ये अनुष्ठान कृषि चक्रों और आध्यात्मिक कायाकल्प के साथ जुड़े होते हैं।

दुर्गा कवच पाठ

माता ललिता को दस महाविद्याओं की तीसरी महाविद्या माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन देवी की आराधना करने से सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

सात्विक मंत्र क्या है?

हिंदू धर्म और सनातन परंपरा में मंत्रों का विशेष महत्व है। इनके उच्चारण से ना सिर्फ आध्यात्मिक उन्नति होती है। बल्कि, यह मानसिक और शारीरिक शांति भी प्रदान करता है।

बोला प्रभु से यूँ केवट, यह विनती है सरकार (Bola Prabhu Se Yun Kevat Yah Vinati Hai Sarkar)

बोला प्रभु से यूँ केवट,
यह विनती है सरकार,

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