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सब देव चले महादेव चले,
ले ले फूलन के हार रे,
आओ रामा की नागरिया,
आओ राघव साँवरिया ॥
शिव शंकर ने आगे बढ़कर अपना डमरू बजाया,
गन्धर्वों ने ताल मिला कर प्रभु की स्तुति गाया,
सब हरष रहे मेघ बरस रहे,
अमृत की सरस फुहार रे,
आओ रामा की नागरिया ॥
सब देव चले महादेव चले,
ले ले फूलन के हार रे,
आओ रामा की नागरिया ॥
नौमि तिथि मधुमास पुनीता,
शुक्ल पक्ष अभिजीत हरी प्रीता,
मध्य दिवस अति शीत न धामा,
सकल काल लोक विश्राम,
ब्रम्हा वेद पढ़ें सुर यान चढ़ें,
फूलन की करें बौछार रे,
आओ रामा की नागरिया ॥
सब देव चले महादेव चले,
ले ले फूलन के हार रे,
आओ रामा की नागरिया ॥
जो लगन गृह वार तिथि,
अनुकूल वो सब आई,
मनि आरे पर्वत सब महि,
सोलह श्रृंगार कर छायी,
कल्याण मूल मिले दोउ कुल,
सरयू बढ़ गयी अपार रे,
आओ रामा की नागरिया ॥
सब देव चले महादेव चले,
ले ले फूलन के हार रे,
आओ रामा की नागरिया ॥