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रण में आयी देखो काली(Ran mein aayi dekho Kali)

रण में आयी देखो काली,

खून से भरने खप्पर खाली,

दुष्टो को तू मारने वाली,

जय काली काली ॥


अष्ट भुजाओं वाला लहंगा,

पहन के मैया आई है,

काट के दुष्टो का सर मैया,

ने माला बनाई है,

चंडी रूप बात निराली,

सजती है मेरी मैया काली,

दुष्टो को तू मारने वाली,

जय काली काली ॥


देख के रूप विराट माँ तेरा,

कई देवता भी हारे,

तेरे आगे विनती करते,

हाथ जोड़ते है सारे,

आखिर में शिव शंकर जी ने,

किया है शांत तुझे माँ काली,

दुष्टो को तू मारने वाली,

जय काली काली ॥


जैसे भैरव बाबा की,

मुक्ति की तूने अम्बे माँ,

महिषासुर को सबक सिखाने,

वाली तू जगदम्बे माँ,

ऐसे ही ‘आशीष बागड़ी’,

चरणों में तेरे आया माँ,

‘हेमंत ब्रजवासी’ ने मैया,

तेरा ही गुण गाया माँ,

खुशियों सबको देने वाली,

जय काली काली ॥


रण में आयी देखो काली,

खून से भरने खप्पर खाली,

दुष्टो को तू मारने वाली,

जय काली काली ॥

धरती गगन में होती है (Dharti Gagan Mein Hoti Hai)

धरती गगन में होती है,
तेरी जय जयकार ॥

लचकि लचकि आवत मोहन (Lachaki Lachaki Awat Mohan)

लचकि लचकि आवत मोहन,
आवे मन भावे

आनंद ही आनंद बरस रहा (aanand-hi-aanand-baras-raha)

आनंद ही आनंद बरस रहा
बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।

श्री राम स्तुति : श्री रामचन्द्र जी की आरती (Shri Ramchandra Ji Ki Aarti)

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन,हरण भवभय दारुणम्।
नव कंज लोचन, कंज मुख कर, कंज पद कंजारुणम्॥

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