नवीनतम लेख

राम नाम जपते रहो, जब तक घट घट मे प्राण (Ram Nam Japte Raho, Jab Tak Ghat Ghat Me Ram)

राम नाम जपते रहो,

जब तक घट घट मे प्राण ।

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥


राम की महिमा का,

कोई आर न कोई पार रे ।

लाख जतन किये,

फिर भी न समझ संसार रे ।

राम के चरणों में मिले,

इस जग के सारे धाम ।

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥


तन में, मन में, और हृदय में,

राम का गुणगान हो ।

हर घडी, हर पल, हर क्षण,

राम का ही ध्यान हो ।

राम में ही मग्न रहे,

भक्ति हो सुबह शाम ।

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥


राम नाम जपते रहो,

जब तक घट घट मे प्राण ।

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥


राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥

राम भजो, राम रटो,

राम साधो, राम राम ॥


जयकारा, मेरे केदारेश्वराय जय कारा (JaiKara Mere Kedareshwaray Jai Kara)

संसारसारम् भुजगेन्द्रहारम्,
सदावसन्तं हृदयारविन्दे,

मेरे राम इतनी किरपा करना, बीते जीवन तेरे चरणों में(Mere Ram Itni Kripa Karna Beete Jeevan Tere Charno Me)

मेरे राम इतनी किरपा करना,
बीते जीवन तेरे चरणों में ॥

उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे (Uth Khada Ho Lakshman Bhayia Ji Na Lage)

उठ खड़ा हो लक्ष्मण भैया जी ना लगे,
लखनवा नही जाना की जी ना लगे ॥

उत्पन्ना एकादशी का चालीसा

उत्पन्ना एकादशी सनातन धर्म में एक महत्वपूर्ण तिथि है, जो भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। वैसे तो हर माह में दो एकादशी आती है, लेकिन उत्पन्ना एकादशी का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि इस दिन मां एकादशी का जन्म हुआ था।