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राम जन्मभूमि पर जाकर, जीत के दीप जलाएंगे (Ram Janmabhoomi Par Jakar Jeet Ke Deep Jalayenge)

राम जन्मभूमि पर जाकर,

जीत के दीप जलाएंगे,

कलयुग के रावण अब भय से,

अपनी खैर मनाएंगे ॥


राम अयोध्या जब लौटे,

जले थे दीपक घर घर में,

सियाराम के जयकारे भी,

गूंज उठे थे अम्बर में,

जाके अयोध्या दिवाली में,

फुलझड़िया हम जलाएंगे,

कलयुग के रावण अब भय से,

अपनी खैर मनाएंगे ॥


देश के कोने कोने से जब,

भक्तो की टोली आएगी,

उनकी भक्ति की शक्ति से,

ये दुनिया अब थर्राएगी,

जय श्री राम का झंडा अब तो,

हर घर में लहराएगा,

कलयुग के रावण अब भय से,

अपनी खैर मनाएंगे ॥


राम जन्मभूमि पर जाकर,

जीत के दीप जलाएंगे,

कलयुग के रावण अब भय से,

अपनी खैर मनाएंगे ॥

मुझे अपनी शरण में ले लो राम(Mujhe Apni Sharan Me Lelo Ram)

मुझे अपनी शरण में ले लो राम, ले लो राम!
लोचन मन में जगह न हो तो

भाद्रपद शुक्ल की वामन एकादशी (Bhadrapad Shukal Ke Vaman Ekadashi )

इतनी कथा सुनकर पाण्डुनन्दन ने कहा- भगवन्! अब आप कृपा कर मुझे भाद्र शुक्ल एकादशी के माहात्म्य की कथा सुनाइये और यह भी बतलाइये कि इस एकादशी का देवता कौन है और इसकी पूजा की क्या विधि है?

कान्हा तेरी कबसे बाट निहारूं - भजन (Kanha Teri Kabse Baat Niharun)

कान्हा तेरी कबसे,
बाट निहारूं,

अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती (Agar Maa Ne Mamta Lutai Na Hoti)

अगर माँ ने ममता लुटाई ना होती,
तो ममतामयी माँ कहाई ना होती ॥