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राजीव लोचन राम, आज अपने घर आए(Rajiv Lochan Ram Aaj Apne Ghar Aaye)

राजीव लोचन राम,

आज अपने घर आए,

कण कण पुलकित,

पुरजन हर्षित,

नगर गाँव सब बजत बधाई,

राजीव लोंचन राम,

आज अपने घर आए ॥


गावही किन्नर नाग बदूटी,

बार बार कुसुमांजलि छूटी,

हे जग पावन,

मुनि मन भावन,

अरु शोभा गुण बरनी ना जाए,

राजीव लोंचन राम,

आज अपने घर आए ॥


सुन्दर शोभा श्री रघुवर की,

झांकी बनी है कनक भवन की,

सूचिसर सुन्दर,

नित्य मगन जन,

मचल मचल सब विधि गुण गाए,

राजीव लोंचन राम,

आज अपने घर आए ॥


हर्षित जह तह दाई दासी,

आनंद मगन सकल पुर वासी,

लिए आरती मंगल आरती,

कनक बसन उपथाल सुहाए,

राजीव लोंचन राम,

आज अपने घर आए ॥


राजीव लोचन राम,

आज अपने घर आए,

कण कण पुलकित,

पुरजन हर्षित,

नगर गाँव सब बजत बधाई,

राजीव लोंचन राम,

आज अपने घर आए ॥

हमने आँगन नहीं बुहारा (Hamne Aangan Nahi Buhara, Kaise Ayenge Bhagwan)

हमने आँगन नहीं बुहारा,
कैसे आयेंगे भगवान् ।

नन्द बाबा के अंगना देखो बज रही आज बधाई(Nand Baba Ke Angana Dekho Baj Rahi Aaj Badhai)

नन्द बाबा के अंगना देखो,
बज रही आज बधाई,

आये है गणेश बप्पा, आज मोरे आंगना (Aaye Hai Ganesh Bappa, Aaj More Angana)

आये है गणेश बप्पा,
आज मोरे आंगना,

वनदेवी की पूजा किस विधि से करें?

हिंदू धर्म में वनदेवी को जंगलों, वनस्पतियों, और वन्य जीवों की अधिष्ठात्री माना जाता है। वे प्रकृति के संरक्षण और संवर्धन का प्रतीक हैं। इतना ही नहीं, कई आदिवासी समुदायों में वनदेवी को आराध्य देवी के रूप में पूजा जाता है।

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