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राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया(Raghav Ji Tumhe Aisa Kisne Banaya)

ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।


पर नारी पर दृष्टि न ड़ाली,

ऐसी तुम्हरी प्रकृति निराली,

तुम्हें वाल्मीकि तुलसी ने गाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।


ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।


अवगुन देख के क्रोध न आता,

भक्तों को देख के प्रेम न समाता,

धन्य कोसलाजू जिसने तुम्हें जाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।


ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।


अपने किये का अभिमान न तुमको,

निज जन का सनमान है तुमको,

तुम्हें रामभद्राचार्य अति भाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।


ऐसा सुंदर स्वभाव कहाँ पाया,

राघवजी तुम्हें ऐसा किसने बनाया ।

कब है रुक्मिणी अष्टमी?

हिंदू धर्म में पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रुक्मिणी अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भगवान श्री कृष्ण की पत्नी देवी रुक्मिणी को समर्पित है, जिन्हें माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, रुक्मिणी अष्टमी पर ही द्वापर युग में विदर्भ के महाराज भीष्मक के यहां देवी रुक्मिणी जन्मी थीं।

काल भैरव के 108 मंत्र

मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालभैरव जयंती मनाई जाती है, जिसे कालभैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन काशी के कोतवाल कहे जाने वाले भगवान काल भैरव की पूजा का विधान है।

कब है जया एकादशी?

सनातन धर्म में एक साल में कुल 24 एकादशी आती है। इनमें से माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी मनाई जाती है। सनातन धर्म में एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होता है।

सावन सुहाना आया है(Sawan Suhana Aaya Hai)

सावन सुहाना आया है, सावन,
संदेसा माँ का लाया है, सावन ॥

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