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राधे ब्रज जन मन सुखकारी(Radhe Braj Jan Man Sukhakari)

राधे ब्रज जन मन सुखकारी,

राधे श्याम श्यामा श्याम

मोर मुकुट मकराकृत कुण्डल,

गल वैजयंती माला,

चरणन नुपर रसाल,

राधे श्याम श्यामा श्याम ॥


सुन्दर वदन कमल-दल लोचन,

बांकी चितवन हारी,

मोहन वंशी विहारी,

राधे श्याम श्यामा श्याम ॥


वृन्दावन में धेनु चरावे,

गोपीजन मन हारी,

श्री गोवेर्धन धारी,

राधे श्याम श्यामा श्याम ॥


राधा कृष्ण मिली अब दोऊ,

गौर रूप अवतारी,

कीर्तन धर्म प्रचारी,

राधे श्याम श्यामा श्याम ॥


तुम बिन मेरा और ना कोई,

नाम रूप अवतारी,

चरणन में बलिहारी,

राधे श्याम श्यामा श्याम,

नारायण बलिहारी,

राधे श्याम श्यामा श्याम ॥

ज्वारे और अखंड ज्योत की परंपरा

तैत्तिरीय उपनिषद में अन्न को देवता कहा गया है- अन्नं ब्रह्मेति व्यजानत्। साथ ही अन्न की निंदा और अवमानना ​​का निषेध किया गया है- अन्नं न निन्द्यात् तद् व्रत। ऋग्वेद में अनेक अनाजों का वर्णन है I

हे बांके बिहारी गिरधारी हो प्यार तुम्हारे चरणों में (Hey Banke Bihari Girdhari Ho Pyar Tumhare Charno Mein)

हे बांके बिहारी गिरधारी,
हो प्यार तुम्हारे चरणों में,

मैय्या का चोला है रंगला

हो, लाली मेरी मात की, जित देखूँ तित लाल
लाली देखन मैं गया, मैं भी हो ग्या लाल

गणेश चतुर्थी व्रत कथा

गणेश चतुर्थी को गणपति जी के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस दिन संपूर्ण विधि-विधान के साथ घर में एक दिन, दो दिन, तीन दिन या फिर 9 दिनों के लिए गणेश जी की स्थापना की जाती है।

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