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प्रभु मेरे मन को बना दे शिवाला (Prabhu Mere Mann Ko Banado Shivalay)

प्रभु मेरे मन को बना दे शिवाला,

तेरे नाम की मैं जपूं रोज माला ।

अब तो मनोकामना है यह मेरी,

जिधर देखूं आए नजर डमरू वाला ॥

॥ प्रभु मेरे मन को बना दे शिवाला...॥


कहीं और क्यूँ ढूँढने तुझ को जाऊं,

प्रभु मन के भीतर ही मैं तुझ को पाऊं ।

यह मन का शिवाला हो सब से निराला,

जिधर देखूं आए नजर डमरू वाला ॥

॥ प्रभु मेरे मन को बना दे शिवाला...॥


भक्ति पे है अपनी विशवास मुझ को,

बनाएगा चरणों का तू दास मुझ को ।

मैं तुझ से जुदा अब नहीं रहने वाला,

जिधर देखूं आए नजर डमरू वाला ॥

॥ प्रभु मेरे मन को बना दे शिवाला...॥


तू दर्पण सा उजला मेरे मन को करदे,

तू अपना उजाला मेरे मन में भरदे ।

हैं चारो दिशाओं में तेरा उजाला,

जिधर देखूं आए नजर डमरू वाला ॥


प्रभु मेरे मन को बना दे शिवाला,

तेरे नाम की मैं जपूं रोज माला ।

अब तो मनोकामना है यह मेरी,

जिधर देखूं आए नजर डमरू वाला ॥


रमा एकादशी व्रत कथा (Rama Ekadashi Vrat Katha)

एक समय महाराज युधिष्ठिर ने कहा- “हे जनार्दन मुझपर कृपा करके बताइये कि कार्तिक कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी होती है? भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा “हे राजन् ! कार्तिक मास के कृष्णपक्ष में जो परम कल्याणमयी एकादशी होती है वह 'रमा' के नाम से जानी जाती है।

हर घड़ी याद तेरी आये सौतन बनके (Har Ghadi Yaad Teri Aaye Sautan Banke)

हर घड़ी याद तेरी आये सौतन बनके,
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मैया तुम्हारे चरणों में (Maiya Tumhare Charno Me)

मिलता है सच्चा सुख केवल,
मैया तुम्हारे चरणों में,

म्हारा घट मा बिराजता श्रीनाथजी (Mara Ghat Ma Birajta Shrinathji)

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