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फूलो से अंगना सजाउंगी (Phoolon Se Angana Sajaungi)

फूलो से अंगना सजाउंगी

जब मैया मेरे घर आएंगी।


चन्दन चौकी बिछाऊ

माँ का आसन सजाउं

मै तो माँ को उस पे बिठाउंगी

जब मैया मेरे घर आएंगी।


फूलो से अंगना सजाउंगी

जब मैया मेरे घर आएंगी।


मंगल कलश सजाऊ

गंगा जल भर लाऊ

मै तो माँ के चरण धुलाउंगी

जब मैया मेरे घर आएंगी।


फूलो से अंगना सजाउंगी

जब मैया मेरे घर आएंगी।


केसर रोली लेकर आऊ मै

घिस घिस चन्दन तिलक बनाऊ

मै तो माँ के तिलक लागाउंगी

जब मैया मेरे घर आएंगी।


फूलो से अंगना सजाउंगी

जब मैया मेरे घर आएंगी।


हलवा छोले बनाऊ

मै तो भोग लगाऊ

अपने हाथो से माँ को खिलाऊगी

जब मैया मेरे घर आएंगी।


फूलो से अंगना सजाउंगी

जब मैया मेरे घर आएंगी।


भोले तेरी कृपा से युग आते युग जाते है (Bhole Teri Kripa Se Yug Aate Yug Jate Hain)

भोले तेरी कृपा से
युग आते युग जाते है

भला किसी का कर ना सको तो (Bhala Kisi Ka Kar Na Sako Too)

भला किसी का कर ना सको तो,
बुरा किसी का मत करना,

उड़ उड़ जा रे पंछी (Ud Ud Ja Re Panchhi )

उड़ उड़ जा रे पंछी,
मैया से कहियो रे,

स्कंद षष्ठी व्रत की पौराणिक कथा

स्कंद षष्ठी व्रत भगवान कार्तिकेय जिन्हें मुरुगन, सुब्रमण्यम और स्कंद के नाम से भी जाना जाता है उनकी पूजा को समर्पित है। यह व्रत मुख्यतः दक्षिण भारत में मनाया जाता है। भगवान कार्तिकेय को युद्ध और शक्ति के देवता के रूप में पूजते हैं।

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