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पार होगा वही, जिसे पकड़ोगे राम (Paar Hoga Wahi Jise Pakdoge Ram)

पार होगा वही,

जिसे पकड़ोगे राम,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा ॥


तिरना क्या जाने,

पत्थर बेचारे,

तिरने लगे तेरे,

नाम के सहारे,

नाम लिखते आ गए है,

पत्थर में प्राण,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा।

पार होगा वहीँ,

जिसे पकड़ोगे राम,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा ॥


लंका जलाई,

लांघा समुन्दर,

राक्छस को मार आया,

छोटा सा बन्दर,

बस जपता रहा,

दिन रात तेरा नाम,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएग ॥


पार होगा वहीँ,

जिसे पकड़ोगे राम,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा ॥


सुनकर के बाते,

मुस्काए राम जी,

मारे ख़ुशी के नाचे,

हनुमान जी,

भक्त देखा ना,

बनवारी तेरे समान,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा ॥


पार होगा वहीँ,

जिसे पकड़ोगे राम,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा ॥


पार होगा वही,

जिसे पकड़ोगे राम,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा,

जिसको छोड़ोगे,

पलभर में डूब जाएगा ॥

तिरुमला को क्यों कहा जाता है धरती का बैकुंठ

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में त‍िरुमाला की सातवीं पहाड़ी पर स्थित तिरुपति मंदिर विश्व का सबसे प्रसिद्ध है। यहां आने के बाद बैकुंठ जैसी अनुभूति होती है।

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तेरी प्रीत में मोहन,
मन बावरा है,

राम को देख कर के जनक नंदिनी (Ram Ko Dekh Ke Janak Nandini)

राम को देख कर के जनक नंदिनी,
बाग में वो खड़ी की खड़ी रह गयी।

यशोदा जायो ललना मैं वेदन में सुन आई (Yashoda Jaayo Lalna Mai Vedan Me Sun Aayi)

यशोदा जायो ललना,
मैं वेदन में सुन आई,