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ऊँचे ऊँचे वादी में (Oonchi Oonchi Wadi From omg 2 Movie Bhajan)

ऊँचे ऊँचे वादी में

बसते हैं भोले शंकर

ऊँचे ऊँचे वादी में

बसते हैं भोले शंकर


कैसी ये लगी मुझको तेरी लगन

गाऊँ और झूमूँ होके तुझमे मगन

शंभू!


ऊँची ऊँची वादी में

बसते हैं भोले शंकर

ऊँची ऊँची वादी में

बसते हैं भोले शंकर


भोले भोले शंकर भोले भोले

भोले भोले शंकर भोले


रुद्र रूपा महादेवा

त्रिकाल दर्शी शंकरा

रुद्र रूपा महादेवा

त्रिकाल दर्शी शंकरा शंकरा


हर हर शंभू कहाँ नहीं तू

मेरे शंभू

तू ब्रह्मा तू विष्णु

हर घर हर मन शंभू


इक छोटे रुद्राक्ष में

बड़े पहाड़ में शंभू

बारिक धागे में दिखता

गहरी नदी में शंभू


अलख निरंजन मेरे दिगंबर

बांध ले अपने बंधन में

शिव तेरा ध्यान अगर भूल जाऊं

तो मैं मर जाऊं


प्यार से तेरे सबका जीवन चले

खुशियाँ तू देवे सबके कष्ट हरे


ऊँची ऊँची वादी में

बसते हैं भोले शंकर

भोले भोले शंकर भोले

ऊँची ऊँची वादी में

बसते हैं भोले शंकर

शंभू!


पर्वत पे बैठा मेरा भोला शंकर

मैं उसका दीवाना

भोलेनाथ का हूँ मैं दीवाना

भोलेनाथ का हूँ मैं दीवाना


झूठी ये दुनिया सारी झूठा ये जमाना

भोलेनाथ का हूँ मैं दीवाना

भोलेनाथ का हूँ मैं दीवाना


कैसी ये लगी मुझको तेरी लगन

गाऊँ और झूमूँ होके तुझमे मगन

शंभू!


ऊँची ऊँची वादी में

बसते हैं भोले शंकर

ऊँची ऊँची वादी में

बसते हैं भोले शंकर


भोले भोले शंकर भोले भोले

भोले भोले शंकर भोले


रुद्र रूपा महादेवा

त्रिकाल दर्शि शंकरा

रुद्र रूपा महादेवा

त्रिकाल दर्शि शंकरा शंकरा


भोले भोले शंकर भोले

नाग देवता वासुकी की पूजा किस विधि से करें?

सनातन धर्म में 33 करोड़ यानी कि 33 प्रकार के देवी-देवता हैं। जिनकी पूजा विभिन्न विधि-विधान के साथ की जाती है। इन्हीं में एक नागराज वासुकी हैं। वासुकी प्रमुख नागदेवता हैं और नागों के राजा शेषनाग के भाई हैं।

दिसंबर माह के प्रदोष व्रत

सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। यह व्रत हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। भगवान शिव की साधना करने वाले साधक को पृथ्वी लोक के सभी सुख प्राप्त होते हैं और मृत्यु उपरांत उच्च लोक में स्थान मिलता है।

चरण कमल तेरे धोए धोए पीवां (Charan Kamal Tere Dhoye Dhoye Peevan)

सिमर सिमर नाम जीवा
तन मन होए निहाला,

चंद्र दर्शन शुभ मुहूर्त 2025

चंद्र दर्शन हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है, जो अमावस्या के बाद पहली बार चंद्रमा के दर्शन से जुड़ा हुआ है। इस दिन चंद्रदेव की पूजा-अर्चना की जाती है, जिससे मन की शांति, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है।