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ओ मेरे गोपाल कन्हैया,
मोहन मुरली वाले,
मोहन मुरली वाले,
गोपाल मुरलिया वाले,
ओ मेरे गोपाल कन्हैंया,
मोहन मुरली वाले ॥
कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया,
गुणवान नहीं धनवान नहीं,
कोई बड़ा जगत में मान नहीं,
फिर कैसे तुम्हे अपनाऊं रसिया,
कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया ॥
कोई जप तप संयम नियम नहीं,
मेरा गोपियों जैसा प्रेम नहीं,
फिर कैसे तुम्हे रिझाऊं रसिया,
कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया ॥
कोई गुण का बड़ा भंडार नहीं,
मेरा मीरा जैसा प्यार नहीं,
फिर कैसे तुम्हे मनाऊं रसिया,
कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया ॥
मेरे भीलनी जैसे बेर नहीं,
तेरे आने में तो देर नहीं,
फिर कैसे भोग लगाऊं रसिया,
कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया ॥
ओ मेरे गोपाल कन्हैया,
मोहन मुरली वाले,
मोहन मुरली वाले,
गोपाल मुरलिया वाले,
ओ मेरे गोपाल कन्हैंया,
मोहन मुरली वाले ॥