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ओ मेरे गोपाल कन्हैया, मोहन मुरली वाले (O Mere Gopal Kanhaiya Mohan Murliwale)

ओ मेरे गोपाल कन्हैया,

मोहन मुरली वाले,

मोहन मुरली वाले,

गोपाल मुरलिया वाले,

ओ मेरे गोपाल कन्हैंया,

मोहन मुरली वाले ॥


कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया,

गुणवान नहीं धनवान नहीं,

कोई बड़ा जगत में मान नहीं,

फिर कैसे तुम्हे अपनाऊं रसिया,

कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया ॥


कोई जप तप संयम नियम नहीं,

मेरा गोपियों जैसा प्रेम नहीं,

फिर कैसे तुम्हे रिझाऊं रसिया,

कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया ॥


कोई गुण का बड़ा भंडार नहीं,

मेरा मीरा जैसा प्यार नहीं,

फिर कैसे तुम्हे मनाऊं रसिया,

कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया ॥


मेरे भीलनी जैसे बेर नहीं,

तेरे आने में तो देर नहीं,

फिर कैसे भोग लगाऊं रसिया,

कहो कैसे तुझे रिझाऊं रसिया ॥


ओ मेरे गोपाल कन्हैया,

मोहन मुरली वाले,

मोहन मुरली वाले,

गोपाल मुरलिया वाले,

ओ मेरे गोपाल कन्हैंया,

मोहन मुरली वाले ॥


वाक् देवी हे कलामयी हे सुबुद्धि सुकामिनी (Vak Devi He Kalamayee He Buddhi Sukamini)

वाक् देवी हे कलामयी
हे सुबुद्धि सुकामिनी

शिव के रूप में आप विराजें, भोला शंकर नाथ जी (Shiv Ke Roop Mein Aap Viraje Bhola Shankar Nath Ji)

शिव के रूप में आप विराजे,
भोला शंकर नाथ जी ॥

7 अक्टूबर को पड़ रही है उपांग ललिता पंचमी 2024, कौन से हैं पूजा के शुभ मूहूर्त, क्या पूजा विधि और व्रत के लाभ

उपांग ललिता पंचमी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो पंचांग के अनुसार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।

सूरज की किरण छूने को चरण: भजन (Suraj Ki Kiran Chune Ko Charan)

सूरज की किरण छूने को चरण,
आती है गगन से रोज़ाना,