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नित नयो लागे साँवरो (Nit Nayo Lage Sanvaro)

नित नयो लागे साँवरो,

इकि लेवा नज़र उतार,

नजर ना लग जावै,

एकी लेवा नज़र उतार,

नज़र ना लग जावे ।


सोने के सिंघासन पर,

बैठयो म्हारों श्याम धणी,

तन केसरियो बागों है,

सोभा अपरम्पार घणी,

धीरे धीरे मुळक रह्यो,

धीरे धीरे मुलक रह्यो,

नैना से छलके प्यार,

नज़र ना लग जावै,

एकी लेवा नजर उतार,

नज़र ना लग जावे ।


भाँति भाँति के फूला का,

लाम्बा लाम्बा गजरा है,

ऊपर से इतर छिड़के,

घणा श्याम का नख़रा है,

इके आगे फ़ीका है,

इके आगे फ़ीका है,

दुनिया का राजकुमार,

नज़र ना लग जावै,

एकी लेवा नजर उतार,

नज़र ना लग जावे ।


सजधज कर के श्याम धणी,

निज दरबार लगावे है,

एक बार जो देखे है,

नज़र हटा न पावे है,

बच के रहियों साँवरा,

बच के रहियों साँवरा,

बिन्नू का ये उदगार,

नज़र ना लग जावै,

एकी लेवा नजर उतार,

नज़र ना लग जावे ।


नित नयों लागे साँवरो,

इकि लेवा नज़र उतार,

नजर ना लग जावै,

एकी लेवा नज़र उतार,

नज़र ना लग जावे ।

ऐसा दरबार कहाँ, ऐसा दातार कहाँ (Aisa Darbar Kahan Aisa Datar Kaha)

ऐसा दरबार कहाँ,
ऐसा दातार कहाँ,

रघुपति राघव राजाराम(Raghupati Raghav Raja Ram)

रघुपति राघव राजाराम
पतित पावन सीताराम ॥

बोली गौरी सुनो भोला, बात मेरी ध्यान से सुनलो (Boli Gaura Suno Bhola Baat Meri Dhyan Se Sunlo)

बोली गौरी सुनो भोला,
बात मेरी ध्यान से सुनलो,

भीष्म अष्टमी कब है, शुभ मुहूर्त एवं योग

माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है। कहा जाता है कि इसी दिन बाणों की शय्या पर लेटे भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्याग किए थे। इसलिए सनातन धर्म में यह तिथि अत्यंत शुभ मानी गई है।