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दीन कहे धनवान सुखी
धनवान कहे सुख राजा को भारी ।
राजा कहे महाराजा सुखी
महाराजा कहे सुख इंद्र को भारी ।
इंद्र कहे चतुरानन को सुख
ब्रह्मा कहे सुख विष्णु को भारी ।
तुलसीदास विचार कहे
हरि भजन विना सब जीव दुखारी ।
निर्धन कहे धनवान सुखी
धनवान कहे सुख राजा को भारी ।
राजा कहे चक्रवर्ती सुखी
चक्रवर्ती कहे सुख इन्द्र को भारी ।
इन्द्र कहे श्री राम सुखी
श्री राम कहे सुख संत को भारी ।
संत कहे संतोष में सुख है
बिनु संतोष सब दुनिया दुःखारी ।