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श्री राम जानकी कथा ज्ञान की

श्री रामायण का ज्ञान

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,

कौसल्या हितकारी ।

हरषित महतारी, मुनि मन हारी,

अद्भुत रूप बिचारी ॥


जुग-जुग से हमने पलक बिछायी

तुम्हरी राह बुहारी

तब भाग जागे हैं आज हमारे

आई नाथ सवारी


हनुमान केसरी मात जानकी

सबके साथ बिराजो

लो द्वार खुले हैं आज हृदय के

सबके साथ बिराजो

लो द्वार खुले हैं, आज ह्रदय के

आओ राम विराजो


भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,

कौसल्या हितकारी ।

हरषित महतारी, मुनि मन हारी,

अद्भुत रूप बिचारी ॥


सुख लौटे सारे साथ तुम्हारे

मान हर्षे है रघुनंदन

ये चरण तुम्हारे छूके माटी

अवध की हो गयी चंदन

पग धोने को है, व्याकुल सरयू

कृपा करो अवतारी

भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,

कौसल्या हितकारी ।


भए प्रगट कृपाला दीनदयाला,

कौसल्या हितकारी ।

हरषित महतारी, मुनि मन हारी,

अद्भुत रूप बिचारी ॥

बोलो राम! मन में राम बसा ले (Bolo Ram Man Me Ram Basa Le Bhajan)

बोलो राम, जय जय राम, बोलो राम
जन्म सफल होगा बन्दे,

अम्बे अम्बे भवानी माँ जगदम्बे: भजन (Ambe Ambe Bhavani Maa Jagdambe)

अम्बे अम्बे माँ अम्बे अम्बे,
अम्बे अम्बे भवानी माँ जगदम्बे ॥

भोले तेरे चरणों की (Bhole Tere Charno Ki)

भोले तेरे चरणों की,
गर धूल जो मिल जाए,

गौरा ने घोट कर, पीस कर छान कर(Gora Ne Ghot Kar Piskar Chhankar)

गौरा ने घोट कर,
पीस कर छान कर,