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हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधे नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

तुम्ही हो माता पिता हमारे,

तुम्ही हो माता पिता हमारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम ॥


आदि शक्ति श्री राधे रानी,

जय जगजननी जय कल्याणी,

युगल मूर्ति श्री राधे कृष्णा,

दर्शन करत मिटे नही तृष्णा,

दर्शन करत मिटे नही तृष्णा,

दोनो हैं दोनो के नैन-तारे,

दोनो हैं दोनो के नैन-तारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम ॥


सुर मुनि कितने स्वप्न संजोते,

योगी जप तप कर युग खोते,

तब जाकर इस युगल मूर्ति के,

बाल रूप में दर्शन होते;

बाल रूप में दर्शन होते,

ये सृष्टि सारी यही पुकारे,

ये सृष्टि सारी यही पुकारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम ॥


हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधे नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

तुम्ही हो माता पिता हमारे,

तुम्ही हो माता पिता हमारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम,

हे भक्तवृंदों के प्राण प्यारे,

नमामी राधें नमामी कृष्णम ॥

भगवान इंद्र की पूजा विधि

सनातन धर्म में इंद्रदेव को देवों के राजा और आकाश, वर्षा, बिजली और युद्ध के देवता के रूप में पूजा जाता है। इंद्रदेव के आशीर्वाद से पृथ्वी पर वर्षा होती है, जो कृषि और जीवन के लिए आवश्यक है।

केवट ने कहा रघुराई से(Kewat Ne Kaha Raghurai Se)

केवट ने कहा रघुराई से,
उतराई ना लूंगा हे भगवन,

द्वारे चलिए मैय्या के द्वारे चलिए

द्वारे चलिए, मैय्या के द्वारे चलिए
द्वारे चलिए, मैय्या के द्वारे चलिए

वैशाख शुक्ल पक्ष की मोहिनी नामक एकादशी (Vaishaakh Shukl Paksh Kee Mohinee Naamak Ekaadashee)

भगवान् कृष्ण के मुखरबिन्द से इतनी कथा सुनकर पाण्डुनन्दन महाराज युधिष्ठिर ने उनसे कहा - हे भगवन् ! आपकी अमृतमय वाणी से इस कथा को सुना परन्तु हृदय की जिज्ञासा नष्ट होने के बजाय और भी प्रबल हो गई है।

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