नवीनतम लेख

ना जाने आज क्यो फिर से, तुम्हारी याद आई है (Na Jaane Aaj Kyu Fir Se Tumhari Yaad Aayi Hai)

ना जाने आज क्यों फिर से,

तुम्हारी याद आई है ॥


दोहा – खाक मुझमें कमाल रखा है,

दाता तूने संभाल रखा है,

मेरे ऐबों पे डालकर पर्दा,

मुझे अच्छों में डाल रखा है।

मैं तो कब का मिट गया होता,

तेरी रहमत ने पाल रखा है,

मुझसे नाता जोड़ के तूने,

हर मुसीबत को टाल रखा है ॥


सम्भालों दास को दाता,

मेरी सुध क्यों भुलाई है,

ना जाने आज क्यों फिर से,

तुम्हारी याद आई है ॥


नज़र क्या तुमसे टकराई,

जो नाजुक दिल लुटा बैठे,

इशारा क्या किया तूने,

जो हम खुद को भुला बैठे,

जो हम खुद को भुला बैठे,

मुकर जाओगे वादे से,

तो भक्तो की दुहाई है,

ना जाने आज क्यो फिर से,

तुम्हारी याद आई है ॥


जमाना रूठ जाए पर,

ना रूठो तुम मेरे दाता,

पुराना जन्म जन्मो का,

कन्हैया आपसे नाता,

कन्हैया आपसे नाता,

निगाहें याद से तेरी,

सितमगर बाज आई है,

ना जाने आज क्यो फिर से,

तुम्हारी याद आई है ॥


सबर की हो गई हद अब,

सहा जाता नहीं प्यारे,

नज़र दिलदार से ज्यादा,

कोई आता नहीं प्यारे,

कोई आता नहीं प्यारे,

तुम्हारे द्वार पे ‘काशी’,

ने भी पलकें बिछाई है,

ना जाने आज क्यो फिर से,

तुम्हारी याद आई है ॥


सम्भालों दास को दाता,

मेरी सुध क्यों भुलाई है,

ना जाने आज क्यो फिर से,

तुम्हारी याद आई है ॥

गोवर्धन पूजा 2024 तिथि: कब है गोवर्धन पूजा? जानें महत्व, शुरुआत और पौराणिक कथा

दीपोत्सव दिवाली के पांच दिवसीय उत्सव का प्रमुख त्योहार गोवर्धन पूजा हर साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को आता है।

शिव शंकर तुम कैलाशपति (Shiv Shankar Tum Kailashpati)

शिव शंकर तुम कैलाशपति,
है शीश पे गंग विराज रही,

विनायक चतुर्थी के उपाय

हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का व्रत विशेष महत्व रखता है। यह दिन भगवान गणेश की पूजा को समर्पित है। उन्हें विघ्नहर्ता और शुभ फल प्रदान करने वाला देवता माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा करने और कुछ उपाय अपनाने से जीवन की सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं और मनचाही सफलता प्राप्त होती है।

कार्तिगाई दीपम उत्सव से जुड़ी पौराणिक कथा

कार्तिगाई दीपम उत्सव दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान कार्तिकेय और शिव को समर्पित है। यह उत्सव तमिल माह कार्तिगाई की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो उत्तर भारतीय कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा तिथि को आयोजित होता है।

यह भी जाने