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मुकुन्द माधव गोविन्द बोल (Mukund Madhav Govind Bol)

मुकुट सिर मोर का,

मेरे चित चोर का ।

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


कमल लज्जाये तेरे,

नैनो को देख के ।

भूली घटाएँ तेरी,

कजरे की रेख पे ।

यह मुखड़ा निहार के,

सो चाँद गए हार के,

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


मुकुट सिर मोर का,

मेरे चित चोर का ।

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


कुर्बान जाऊं तेरी,

बांकी अदाओं पे ।

पास मेरे आजा तोहे,

भर मैं भर लूँ मैं बाहों में ।

जमाने को विसार के,

दिलो जान तोपे वार के,

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


मुकुट सिर मोर का,

मेरे चित चोर का ।

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


रमण बिहारी नहीं,

तुलना तुम्हारी।

तुझ सा ना पहले,

कोई ना देखा अगाडी ।

दीवानों ने विचार के,

कहा यह पुकार के,

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


मुकुट सिर मोर का,

मेरे चित चोर का ।

दो नैना सरकार के,

कटीले हैं कटार से ॥


बांके बिहारी तेरे नैना कजरारे, नजर ना लग जाए (Banke Bihari Tere Naina Kajrare Nazar Na Lag Jaye)

बांके बिहारी तेरे नैना कजरारे,
नजर ना लग जाए,

वो कौन है जिसने हम को दी पहचान है (Wo Kon Hai Jisne Humko Di Pahachan Hai)

वो कौन है जिसने,
हम को दी पहचान है,

हे वीणा वादिनी सरस्वती, हंस वाहिनी(Hey Veena Vadini Saraswati Bhajan)

हे वीणा वादिनी सरस्वती
हंस वाहिनी सरस्वती

राम नाम ही सत्य है(Ram Naam Hi Satya Hai )

राम नाम ही सत्य है केवल,
राम का गुणगान करो,