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मुझे तेरा सहारा सदा चाहिए (Mujhe Tera Sahara Sada Chahiye)

आसरा इस जहाँ का मिले न मिले,

मुझे तेरा सहारा सदा चाहिए ॥


चाँद तारे फलक पर दिखे ना दिखे,

मुझ को तेरा नज़ारा सदा चाहिए,

धन दौलत जहाँ की मिले ना मिले,

सतगुरु तेरे चरणों की रज चाहिए ॥


यहाँ खुशिया हैं कम, और ज्यादा है गम,

जहाँ देखो वहीँ है देखो भरम ही भरम,

मेरी महफ़िल में शम्मा जले ना जले,

मेरे दिल में उजाला तेरा चाहिए ॥


कभी वैराग है, कभी अनुराग है,

यहाँ बदले हैं माली वही बाग़ है,

मेरी चाहत की दुनिया बसे ना बसे,

मेरे दिल में बसेरा तेरा चाहिए ॥


मेरी धीमी है चाल, और पथ है विशाल,

हर कदम पर मुसीबत अब तू ही संभाल,

पैर मेरे थकें हैं, चले ना चले,

मेरे दिल में इशारा तेरा चाहिए ॥


कभी बैराग है, कभी अनुराग है,

जिन्दगी बिन धुंए की अजब आग है,

मान सम्मान जग में मिले ना मिले,

बस कृपा होनी बाबा तेरी चाहिए ॥


आसरा इस जहाँ का मिले न मिले,

मुझे तेरा सहारा सदा चाहिए ॥


उत्तपन्ना एकादशी 2024, पूजा विधि

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाने वाला उत्पन्ना एकादशी का पर्व भगवान विष्णु और देवी एकादशी की आराधना का विशेष दिन है।

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श्रावण शुक्ल की पुत्रदा एकादशी (Shraavan Shukl Kee Putrada Ekaadashee)

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