नवीनतम लेख

मोहे मिठो मिठो, सरजू जी को पानी लागे(Mohe Mitho Mitho Saryu Ji Ko Pani Lage)

सीता राम जी प्यारी राजधानी लागे,

राजधानी लागे,

मोहे मिठो मिठो, सरजू जी को पानी लागे।

सीता राम जी प्यारी राजधानी लागे,

राजधानी लागे,

मोहे मिठो मिठो, सरजू जी को पानी लागे।


जय हो प्रभु राम की जय हो अयोध्या धाम की,

धन्य कौशल्या धन्य सुमित्रा धन्य कैकई मैया,

धन्य कैकयी मैया,

धन्य कौशल्या धन्य सुमित्रा धन्य कैकई मैया,

धन्य कैकयी मैया, धन्य भूप दशरथ के अँगना,

खेलत चारो भैया,

मीठी तोतली रसीली प्रभु की बानी लागे

प्रभु की बनी लागे,मोहे मिठो मिठो, सरजू जी को पानी लागे।

सीता राम जी प्यारी राजधानी लागे,

राजधानी लागे

मोहे मिठो मिठो,सरजू जी को पानी लागे।


परम सुहावन जनम भूमि श्री रघुवर राम लला की,

रघुवर राम लला की,

कनक भवन सुन्दर शोभा हो,

कनक भवन सुन्दर शोभा,

लक्ष्मण ज्यूत के किला की,

जहां के कण कण में प्रभु की

निशानी लागे, निशानी लागे,

मोहे मिठो मिठो, सरजू जी को पानी लागे।

सीता राम जी प्यारी राजधानी लागे,


रंगमहल हनुमानगढ़ी छोटी छावनी अति सुन्दर,

छोटी छावनी अति सुन्दर,

रंगमहल हनुमानगढ़ी छोटी छावनी अति सुन्दर,

छोटी छावनी अति सुन्दर,

स्वंय जगत के मालिक बैठे,

स्वंय जगत के मालिक बैठे,

कनक भवन के अंदर,

सीता राम जो की शोभा सुखकानी लागे,

सुखकानी लागे,

सीता राम जी प्यारी राजधानी लागे,

राजधानी लागे

मोहे मिठो मिठो,सरजू जी को पानी लागे।

कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा, हरी शरण आने के बाद (Kuch Nahi Bigadega Tera Hari Sharan Aane Ke Baad)

कुछ नहीं बिगड़ेगा तेरा,
हरी शरण आने के बाद ।

जगत के सर पर जिनका हाथ, वही है अपने भोले नाथ(Jagat Ke Sar Par Jinka Hath Vahi Hai Apne Bholenath)

जगत के सर पर जिनका हाथ,
वही है अपने भोले नाथ,

चलती है सारी श्रष्टी, महाकाल के दर से (Chalti Hai Saari Srishti Mahakal Ke Dar Se)

चलती है सारी श्रष्टी,
महाकाल के दर से ॥

वैशाख संकष्ठी चतुर्थी व्रत कथा

वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी का व्रत मनाया जाता है, जिसे हिंदू धर्म में अत्यंत फलदायक माना गया है। यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जो विघ्नहर्ता, बुद्धि के दाता और मंगलकर्ता हैं।