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म्हारी झुँझन वाली माँ, पधारो कीर्तन में(Mhari Jhunjhan Wali Maa Padharo Kirtan Me)

म्हारी झुँझन वाली माँ,

पधारो कीर्तन में,

कीर्तन में माँ कीर्तन में,

भक्ता के घर आँगन में,

म्हारी झुँझण वाली माँ,

पधारो कीर्तन में ॥


चाव चढ्यो है भारी मन में,

इब ना देर करो आवन में,

थारी कद से उडीका बाट,

पधारो कीर्तन में,

म्हारी झुँझण वाली माँ,

पधारो कीर्तन में ॥


थारी पावन ज्योत जगाकर,

थारे आगे शीश झुकाकर,

म्हे जोड़के बैठ्या हाथ,

पधारो कीर्तन में,

म्हारी झुँझण वाली माँ,

पधारो कीर्तन में ॥


थारो कीर्तन राख्यो भारी,

जी में आई दुनिया सारी,

भगता री राखो लाज,

पधारो कीर्तन में,

म्हारी झुँझण वाली माँ,

पधारो कीर्तन में ॥


‘सोनू’ थारा ध्यान लगावे,

मीठा मीठा भजन सुनावे,

म्हारी सुन लो थे अरदास,

पधारो कीर्तन में,

म्हारी झुँझण वाली माँ,

पधारो कीर्तन में ॥


म्हारी झुँझन वाली माँ,

पधारो कीर्तन में,

कीर्तन में माँ कीर्तन में,

भक्ता के घर आँगन में,

म्हारी झुँझण वाली माँ,

पधारो कीर्तन में ॥

झूलेलाल जयंती 2025 कब है

चेटीचंड, सिंधी समुदाय के लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह पर्व चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जिसे सिंधी नववर्ष की शुरुआत भी माना जाता है।

रहे संग तेरा नाम प्रभु हर पल मेरे जीवन में(Rahe Sang Tera Naam Prabhu Har Pal Mere Jeevan Mein)

रहे संग तेरा नाम प्रभु,
हर पल मेरे जीवन में,

शेंरावाली दा चोला सुहा लाल, लाल माँ नु प्यारा लागे (Sherawali Da Chola Suha Lal Lal Maa Nu Pyara Lage)

शेरावाली दा चोला सुहा लाल,
लाल माँ नु प्यारा लागे ॥

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