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म्हारा कुञ्ज बिहारी कृष्ण मुरारी बरसाने बागा में बोले मोर(Mhara Kunj Bihari Krishna Murari)

म्हारा कुञ्ज बिहारी,

कृष्ण मुरारी,

बरसाने बागा में बोले मोर ॥


डूंगर ऊपर डूंगरी रे,

जा पर बैठ्या मोर,

मोर चुगावण मैं गई जी,

मोर चुगावण मैं गई जी,

मिल गया नंदकिशोर जी,

म्हारा कुँज बिहारी,

कृष्ण मुरारी,

बरसाने बागा में बोले मोर ॥


सावन बरस भादवो बरस्यो,

माच रह्यो घनघोर,

दादुर मोर पपीहा बोले,

दादुर मोर पपीहा बोले,

कोयल कर रही शोर जी,

म्हारा कुँज बिहारी,

कृष्ण मुरारी,

बरसाने बागा में बोले मोर ॥


पिया पिया थाने केवस्यू जी,

पिया थे ही चितचोर,

नटवर नागर सोवणा थे,

नटवर नागर सोवणा थे,

चंदा मैं हूँ चकोर जी,

म्हारा कुँज बिहारी,

कृष्ण मुरारी,

बरसाने बागा में बोले मोर ॥


चन्द्रसखी की विनती जी,

खींचो मन की डोर,

जब जब थाने याद करूँ जी,

जब जब थाने याद करूँ जी,

हिवड़े उठे हिलोर जी,

म्हारा कुँज बिहारी,

कृष्ण मुरारी,

बरसाने बागा में बोले मोर ॥

मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो (Maiya Mori Mai Nahi Makhan Khayo)

मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो ।

धनतेरस व्रत कथा: माता लक्ष्मी और किसान की कहानी (Mata Laxmi aur kisan ki kahani: Dhanteras ki vrat Katha)

एक बार भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता पृथ्वी लोक पर घूम रहे थे। विष्णु जी किसी काम से दक्षिण दिशा की ओर चले गए और लक्ष्मी माता को वहीं पर रूकने के लिए कहा।

भोला शंकर बने मदारी (Bhola Shankar Bane Madari)

भोला शंकर बने मदारी,
डमरू दशरथ द्वार बजायो,

रास कुन्जन में ठहरायो (Raas Kunjan Me Thahrayo)

रास कुन्जन में ठहरायो,
रास मधुबन में ठररायो,

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