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मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री(Meri Chunri Mein Pad Gayo Dag Ri)

मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री,

कैसो चटक रंग डारो,

श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,

कैसो चटक रंग डारों ॥


औरन को अचरा ना छुअत है,

औरन को अचरा ना छुअत है,

या की मोहि सो,

या की मोहि सो लग रही लाग री,

या की मोहि सो लग रही लाग री,

कैसो चटक रंग डारों,

श्याम मोरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,

कैसो चटक रंग डारों ॥


मो सो कहतो सुन्दर नारी,

मो सो कहतो सुन्दर नारी,

ये तो मोही सो,

ये तो मो हि सो खेले फाग री,

ये तो मो हि सो खेले फाग री,

कैसो चटक रंग डारो,

श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,

कैसो चटक रंग डारों ॥


बल बल दास आस ब्रज छोड़ो,

बल बल दास आस ब्रज छोड़ो,

ऐसी होरी में,

ऐसी होरी में लग जाये आग री,

ऐसी होरी में लग जाये आग री,

कैसो चटक रंग डारों,

श्याम मोरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,

कैसो चटक रंग डारों ॥


मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री,

कैसो चटक रंग डारो,

श्याम मोरी चुनरी में पड़ गयों दाग री,

कैसो चटक रंग डारों ॥

श्याम ने रंगस्या जी: भजन (Shyam Ne Rangsya Ji)

मेलो फागण को खाटू में चालो,
श्याम ने रंगस्या जी,

धुला लो पाँव राघव जी, अगर जो पार जाना है (Dhul Lo Paanv Raghav Ji Agar Jo Paar Jana Hai)

धुला लो पाँव राघव जी,
अगर जो पार जाना है,

कैसे करें एकादशी माता का श्रृंगार?

मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की उत्पन्ना एकादशी एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भगवान विष्णु और माता एकादशी की पूजा के लिए विशेष माना जाता है।

स्कंद षष्ठी पारण विधि

हर माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। स्कंद देव यानी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय की पूजा की जाती हैं।

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