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मेरी आखिओं के सामने ही रहना(Meri Akhion Ke Samne Hi Rehina Oh Shero Wali Jagdambe)

मेरी आखिओं के सामने ही रहना,

माँ शेरों वाली जगदम्बे ।

हम तो चाकर मैया,

तेरे दरबार के,

भूखे हैं हम तो मैया,

बस तेरे प्यार के॥


विनती हमारी भी,

अब करो मंज़ूर माँ,

चरणों से हमको कभी,

करना ना दूर माँ ॥


मुझे जान के अपना बालक,

सब भूल तू मेरी भुला देना,

शेरों वाली जगदम्बे,

आँचल में मुझे छिपा लेना ॥

॥ मेरी आखिओं के सामने...॥


तुम हो शिव जी की शक्ति,

मैया शेरों वाली ।

तुम हो दुर्गा हो अम्बे,

मैया तुम हो काली॥

बन के अमृत की धार सदा बहना,

ओ शेरों वाली जगदम्बे ॥

॥ मेरी आखिओं के सामने...॥


तेरे बालक को कभी माँ सबर आए,

जहाँ देखूं माँ तू ही तू नज़र आये ।

मुझे इसके सिवा कुछ ना कहना,

ओ शेरों वाली जगदम्बे ॥

॥ मेरी आखिओं के सामने...॥


देदो शर्मा को भक्ति का,

दान मैया जी,

लक्खा गाता रहे,

तेरा गुणगान मैया जी ।

है भजन तेरा,

भक्तो का गहना,

ओ शेरों वाली जगदम्बे ॥


मेरी आखिओं के सामने ही रहना,

माँ शेरों वाली जगदम्बे ।

मैं तो आई वृन्दावन धाम, किशोरी तेरे चरनन में (Main Too Aai Vrindavan Dham Kishori Tere Charanan Main)

मैं तो आई वृन्दावन धाम,
किशोरी तेरे चरनन में ।

इष्टि पौराणिक कथा और महत्व

इष्टि, वैदिक काल का एक विशेष प्रकार का यज्ञ है। जो इच्छाओं की पूर्ति और जीवन में शांति लाने के उद्देश्य से किया जाता है। संस्कृत में 'इष्टि' का अर्थ 'यज्ञ' होता है। इसे हवन की तरह ही आयोजित किया जाता है।

सजा है प्यारा दरबार बाबा का (Saja Hai Pyara Darbar Baba Ka)

सजा है प्यारा दरबार बाबा का,
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