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मेरे उठे विरह में पीर(Mere Uthe Virah Me Pir)

मेरे उठे विरह में पीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥


श्लोक

सब द्वारन को छोड़ के,

श्यामा आई तेरे द्वार,

श्री वृषभान की लाड़ली,

मेरी और निहार ॥


मेरे उठे विरह में पीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी,

मुरली बाजे यमुना तीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥


श्याम सलोनी सूरत पे,

दीवानी हो गई,

अब कैसे धारू धीर सखी,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥


छोड़ दिया मेने भोजन पानी,

श्याम की याद में,

मेरे नैनन बरसे नीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥


इस दुनिया के रिश्ते नाते,

सब ही तोड़ दिए,

तुझे कैसे दिखाऊं दिल चिर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥


नैन लड़े मेरे गिरधारी से,

बावरी हो गई,

दुनिया से हो गई अंजानी,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥


मेरे उठे विरह में पीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी,

मुरली बाजे यमुना तीर,

सखी वृन्दावन जाउंगी ॥

दिवाली पूजन कथा

सनातन धर्म में दिवाली का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है।

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मासिक शिवरात्रि: भगवान शिव नमस्काराथा मंत्र

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