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मेरे शंकर भोले भाले, बेड़ा पार लगाते है(Mere Shankar Bhole Bhale Beda Paar Lagate Hai)

मेरे शंकर भोले भाले,

बेड़ा पार लगाते है,

हर दुःख संकट में,

शिव भोले ही काम आते है ॥


सागर से निकला हलाहल,

देवों में मच गई हलचल,

सब देवता मिल के शिव के,

गुण गाने लगे वो हरपल,

शिव पीकर विष देवों के,

संकट को मिटाते है,

हर दुःख संकट में,

शिव भोले ही काम आते है ॥


जब भक्त भगीरथ गंगा,

को धरती पर ले आए,

गंगा का वेग भयंकर,

इस धरती पर ना समाए,

गंगा को शिवजी अपनी,

जटाओं में समाते है,

हर दुःख संकट में,

शिव भोले ही काम आते है ॥


ऋषियों ने गो हत्या का,

गौतम पे दोष लगाया,

जप तप कर ऋषि गौतम ने,

शिव जी को खूब मनाया,

गंगाजल से गौतम का,

शिव दोष मिटाते है,

हर दुःख संकट में,

शिव भोले ही काम आते है ॥


देवों के संग दानव ने,

जब जब भी युद्ध मचाया,

सब देव जनो ने मिलकर,

शिव जी का ध्यान लगाया,

भोले भंडारी से सब,

वरदान पाते है,

हर दुःख संकट में,

शिव भोले ही काम आते है ॥


मेरे शंकर भोले भाले,

बेड़ा पार लगाते है,

हर दुःख संकट में,

शिव भोले ही काम आते है ॥

रमा एकादशी व्रत कथा (Rama Ekadashi Vrat Katha)

एक समय महाराज युधिष्ठिर ने कहा- “हे जनार्दन मुझपर कृपा करके बताइये कि कार्तिक कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी होती है? भगवान् श्रीकृष्ण ने कहा “हे राजन् ! कार्तिक मास के कृष्णपक्ष में जो परम कल्याणमयी एकादशी होती है वह 'रमा' के नाम से जानी जाती है।

हरि नाम नहीं तो जीना क्या (Hari Nam Nahi Too Jeena Kya)

हरि नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरि नाम जगत में,

राम नाम लड्डू, गोपाल नाम घी(Ram Naam Ladd, Gopal Naam Gee)

जय सीता राम की। जय राधे श्याम की ॥
राम नाम लड्डू, गोपाल नाम घी ।

राम नाम जपते रहो, जब तक घट घट मे प्राण (Ram Nam Japte Raho, Jab Tak Ghat Ghat Me Ram)

राम नाम जपते रहो,
जब तक घट घट मे प्राण ।

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